Johnny Walker: जब भी हम पुरानी फिल्में और उनके कलाकारों की बात करते हैं तो दिलीप कुमार, देवानंद, धर्मेंद्र, राजेश खन्ना का नाम जहन में आता है। फिल्मों में सपोर्टिंग रोल करने वाले एक्टर्स हमें याद नहीं रहते हैं, लेकिन एक ऐसे भी कलाकार थे जो सपोर्टिंग रोल में होने के कारण भी स्क्रीन पर छा जाते थे। एक छोटे से रोल में वो इतने प्रभावशाली नजर आते कि उन्हें इग्नोर नहीं किया जा सकता था। वो अभिनेता थे द फेमस कॉमेडियन बदरुद्दीन जमालुद्दीन काज़ी उर्फ ‘जॉनी वॉकर।’
बस कंडक्टर थे जॉनी वॉकर
60 के दशक में जॉनी वॉकर बॉम्बे इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट में एक बस कंडक्टर थे। वो अपना काम करने के साथ साथ यात्रियों का मनोरंजन भी करते थे। एक दिन उस बस में लीजेंडरी एक्टर बलराज साहनी ट्रेवल कर रहे हैं उनकी नजर जॉनी वॉकर पर पड़ी तो वो हैरान रह गए। यात्रा समाप्त होने के बाद बलराज साहनी ने जॉनी वॉकर को गुरु दत्त से जाकर मिलने को कहा क्योंकि गुरु दत्त को जॉनी वॉकर जैसे एक एक्टर की तलाश थी। गुरु दत्त ने जॉनी वॉकर को एक शराबी की एक्टिंग करने को कहा। गुरु दत्त को उनकी एक्टिंग इतनी पसंद आई कि उन्होंने अपनी फेवरेट व्हिस्की पर जॉनी वॉकर का नाम रख दिया। गुरु दत्त की कई फिल्मों में जॉनी वॉकर ने अभिनय किया है। कई फिल्मों में तो खुद गुरु दत्त ने जॉनी वॉकर के लिए सीन में फेरबदल किए थे। जॉनी वॉकर ने लगभग 300 फिल्मों में अभिनय किया है और उनकी अधिकतर फिल्में गुरु दत्त के साथ आ चुकी है। गुरु दत्त और जॉनी वॉकर एक दूसरे की बहुत इज्जत करते थे।
Image Source : INSTAGRAMJohnny Walker and Guru Dutt
जॉनी वॉकर चेन्नई जाने से क्यों घबराते थे
अब हम आपको जॉनी वॉकर की जिंदगी का एक अहम किस्सा सुनाने वाले हैं। एक वेबसाइट से बातचीत के दौरान जॉनी वॉकर के बेटे और अभिनेता नासिर खान ने बताया कि जब जॉनी वॉकर को उनके काम की वजह से पहचान मिली तो मद्रास यानी की चेन्नई से फिल्म के ऑफर आने लगे। जब वो फिल्म की शूटिंग के लिए मद्रास गए तो एयरपोर्ट पर उन्हें पता चला कि उनके भतीजे का देहांत हो चुका है। वो अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे। भतीजे के निधन की खबर सुनकर वो वापस लौट आए। कुछ महीने बीतने के बाद वो फिर से मद्रास पहुंचे तो उन्हें खबर मिली की उनके पिताजी गुजर गए। वो फिर बॉम्बे लौट आए। एक महीने के बाद जॉनी वॉकर ने फिर से मद्रास जाने का विचार बनाया। जब वो मद्रास के होटल रूम में पहुंचे तो उन्हें खबर मिली कि गुरु दत्त नहीं रहे। इस खबर से उन्हें बहुत धक्का लगा।
उन्होंने फैसला किया कि वो फिर कभी मद्रास नहीं जाएंगे। इसका असर उनके करियर पर भी पड़ा लेकिन फिर भी वो कभी मद्रास नहीं गए, लेकिन जब उन्होंने साल 1996 में कमल हसन की फिल्म चाची 420 साइन की तो उन्हें बताया नहीं गया था कि इस फिल्म की शूटिंग मद्रास में होने वाली है। लगभग 14 साल बाद उन्होंने मद्रास जाने का फैसला किया। वो फ्लाइट के दौरान डरे हुए बैठे थे कि कहीं मद्रास पहुंचने पर उन्हें कोई बुरी खबर न मिल जाए लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। ये उनके करियर की आखिरी फिल्म थी। साल 2003 में 29 जुलाई के दिन जॉनी वॉकर दुनिया को अलविदा कह गए।
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