Father's Day 2022: मिलिए उस पिता से जिसने बेटे को एक्टर बनाने के लिए छोड़ दी लाख रुपये की सरकारी नौकरी
दीपक भसीन एक ऐसे पिता हैं जिन्होंने अपने बच्चे के सपने को पूरा करने के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ड में राजस्व अधिकारी की पोस्ट से इस्तीफा दिया और उसे लेकर मुंबई आ गए।
आपको कंगना रनौत की मूवी 'पंगा' का शरारती बच्चा तो याद ही होगा, जो पिता के साथ मां की खिंचाई भी करता है और फिर अपनी मां को फिर से खेलने के लिए भी प्रेरित करता है... उस बच्चे का रोल निभाया है यज्ञ भसीन ने जिसने बहुत ही कम उम्र में न सिर्फ अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि 'बिश्वा' और 'बाल नरेन' जैसी फिल्मों से पूरे देश का नाम रोशन कर रहे हैं। यज्ञ की जिंदगी आज जिस मुकाम पर है उसके पीछे उनके माता-पिता का बहुत बड़ा हाथ है, जहां आजकल के यूथ जो अपने सपनों और पैशन को मारकर घर और पिता के दबाव में इंजीनियरिंग या डॉक्टरी की पढ़ाई करते हैं वहीं दूसरी तरफ यज्ञ के पिता हैं जिनसे उनके 7 साल के बेटे ने कहा कि ''पापा मुझे एक्टर बनना है'' और उनके पिता ने बिना सोचे समझे अपनी सरकारी गजेटेड ऑफिसर की लाख रुपये महीने की नौकरी छोड़ दी और यज्ञ को लेकर मुंबई आ गए। उत्तराखंड का ऐसा इंसान जो अपनी 10-7 की नौकरी के बाहर कुछ नहीं जानता था उसने बिना कुछ सोचे सबकुछ छोड़कर बेटे के सपने को पूरा करने को ही अपना मिशन बना लिया। मुंबई आकर न सिर्फ बेटे का बल्कि उनके पिता का भी स्ट्रगल शुरू हुआ।
हमने जब यज्ञ से बात की तो उन्होंने बताया कि पापा ने उनके कहने पर उत्तराखंड में सरकारी नौकरी छोड़कर मां के साथ मुंबई रहने आ गए। यहां हम शुरुआत में वॉशरूम के बराबर घर में रहते थे। यज्ञ ने अपने करियर का सारा श्रेय अपने पिता को दिया। हमने यज्ञ के पिता दीपक भसीन से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके 7 साल के बेटे ने जब उनसे कहा कि पापा मैं एक्टिंग करना चाहता हूं तो इस बात ने उन्हें परेशान कर दिया। लेकिन उन्हें लगा कि ये शायद यज्ञ के पिछले जन्म का अधूरा काम था जो पूरा करने के लिए भगवान ने उन्हें मौका दिया है तो वो मना नहीं कर पाए। महज 6 महीने बाद उन्होंने अपनी पत्नी सोनिया भसीन से बात की और तीनों सबकुछ छोड़कर मुंबई आ गए।
दीपक भसीन को नहीं पता था ऑडिशन का मतलब
दीपक भसीन एक ऐसे पिता हैं जिन्होंने अपने बच्चे के सपने को पूरा करने के लिए उत्तराखंड हाईकोर्ड में राजस्व अधिकारी की पोस्ट से इस्तीफा दिया और उसे लेकर मुंबई आ गए। उन्हें ना ऑडिशन शब्द के बारे में पता था न ये पता था कि ये सब कहां होता है लेकिन वो बच्चे का स्कूल में एडमिशन कराकर हर रोज 14-15 किलोमीटर पैदल ही चलते और लोगों से पूछते थे कि फिल्मों में काम करना है मेरे बेटे को तो कहां जाएं? दीपक भसीन ने बताया कि ये आसान नहीं था कई लोग झिड़क देते थे और पागल समझते थे, लेकिन उन्हीं में से किसी ने बताया कि अंधेरी में ये ऑडिशन होते हैं।
यज्ञ की तपस्या
आखिर दीपक भसीन अपने बच्चे को लेकर हर रोज ट्रेन से भयंदर से अंधेरी ले जाने लगे। ये सफर भी आसान नहीं था क्योंकि 5 बजे तक यज्ञ का स्कूल होता था और स्कूल से छूटकर वो उसे घर लाते जहां वो घर के अंदर भी नहीं आते थे जिससे समय की बर्बादी न हो और यज्ञ की मां स्कूल बैग लेकर दूसरा बैग पकड़ाती थी जिसमें यज्ञ के ऑडिशन का सामान होता था- जैसे एक-दो सेट कपड़े, मेकअप का थोड़ा बहुत सामान होता था। यज्ञ ने बताया कि उनके पिता कई सारी ट्रेन छोड़ देते थे जिससे उस ट्रेन में बैठे जहां थोड़ी जगह हो और उनके बेटे को दिक्कत न हो।
देश का नाम रोशन कर रहे हैं यज्ञ
दीपक भसीन ने बताया कि यज्ञ बहुत मेहनती है और वो कभी भी मुसीबत से नहीं घबराता है, स्कूल के बाद ऑडिशन पर जाना वहां लाइन में लगना हर तरह की मुसीबत का सामना उनका बच्चा करता था। पिता और बेटे की मेहनत रंग लाई क्योंकि 52 ऑडिशन के बाद आखिरकार यज्ञ का चयन एक टीवी सीरियल में एक छोटे से रोल के लिए हो गया। 'मेरे साईं' सीरियल से यज्ञ को ब्रेक मिला, वो दिन है और आज का दिन है यज्ञ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यज्ञ को स्टार प्लस का सीरियल 'ये है चाहतें' में सारांश का लीड रोल मिला। वहीं यज्ञ बहुत ही जल्द 'बाल नरेन' और 'बिश्वा' जैसी टाइटल रोल वाली फिल्मों में नजर आने वाले हैं। 'बिश्वा' को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहना भी मिल चुकी है।
पिता के बलिदान की कहानी
यज्ञ भसीन और दीपक भसीन की कहानी एक पिता के बलिदान और बेटे की तपस्या की कहानी है, जो हमें इंस्पायर करती है कि कैसे एक पिता के लिए उसके बच्चे का सपना उसका सपना बन जाता है और वो अपने बेटे को आगे ले जाने के लिए खुद कितना पीछे चला जाता है। यज्ञ भी अपने पिता के इस बलिदान को समझते हैं और हमें उम्मीद है कि वो अपने पिता का सिर कभी नहीं झुकने देंगे।
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