दिल्ली: आज ऐसा वक्त आ गया है जब कहा जाता है कि अगर आप में हुनर है तो आपका रंग रूप कोई मायने नहीं रखता। लेकिन फिर भी कई बार लोगों को रंगभेद (रेसिज्म) का सामना करना पड़ता है। हमारे सिनेमाजगत के सितारे भी इन आलोचनाओं का शिकार होने से बच नहीं पाए हैं। हाल ही में छोटे पर्दे की जानी मानी अदाकारा उल्का गुप्ता ने फिल्म इंडस्ट्री में फैले इस रंगभेद को लेकर कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए है।
धारावाहिद 'झांसी की रानी' में में लक्ष्मीबाई के बचपन का किरदार निभाने वाली उल्का गप्ता ने खुलासा किया है कि जब वह केवल 7 साल की थीं तभी वह रंगभेद का शिकार हो गई थीं। इसके कारण उन्हें इंडस्ट्री में काफी स्ट्रगल करना पड़ा है। उल्का ने हाल ही में एक अखबार से बातचीत के दौरान बताया कि जब 7 साल की थीं तब उनका एक धारावाहिक 'रेशम डंक' शुरु हुआ था, लेकिन इसकी टीआरपी कम होने की वजह से इसे केवल 6 महिनों में बंद कर दिया गया। हालांकि इसके बाद भी उल्का को कई शो में काम करने का मौका मिला लेकिन हर बार उनके सांवले रंग पर सवाल उठाया जाता था।
उल्का ने बताया, "मुझे बचपन से अभिनय का शौक था। लेकिन मुझे बहुत छोटी उम्र में ही इस इंडस्ट्री की डार्क साइड का पता चल गया था। 'रेशम डंक' खत्म होने के बाद मैं और मेरे पापा ऑडिशंस के लिए जाते तो मुझे वहां जाकर पता चलता कि निर्माता को गोरी लड़की चाहिए। उस वक्त मुझे इस बात से काफी निराशा होती थी।" उल्का ने बताया कि उन्हें कई बार अपने सांवले रंग की वजह से रिजेक्शन झेलना पड़ा है।
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