सुशांत सिंह राजपूत केस: जानिए एक्टर के घर पर सीबीआई और सीएफएसएल टीम ने क्या-क्या किया
शनिवार को सीबीआई की टीम सुशांत सिंह राजपूत के बांद्रा स्थित फ्लैट में जांच के लिए गई थीं। जहां उन्होंने क्राइम सीन रिक्रिएट करने के साथ कई लोगों के बयान दर्ज किए।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए सीबीआई की टीम आज दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर एक्टर के बांद्रा स्थित फ्लैट पर पहुंची थी। सीबीआई के साथ यहां सुशांत का दोस्त और फ्लैटमेट सिद्धार्थ पिठनी और कुक नीरज भी मौजूद था। मकसद था पूरे क्राइम सीन को री-कंस्ट्रक्ट करना। इसके लिए सीबीआई की टीम बाकायदा सुशांत के वजन के हिसाब की डमी लेकर पहुँची थी। फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के 6 लोग जो कि फिजिक्स और केमेस्ट्री डिवीज़न से थे वो भी एसआईटी के साथ सुशांत के फ्लैट पर पहुंची थी। फॉरेंसिक टीम ने सुशांत के कमरे के साथ-साथ पूरे घर की फ़ोटो खींची और वीडियोग्राफी की।
खास बात ये थी कि सीबीआई ने सुशांत के परिवार के कत्ल के आरोप के आधार पर उसके फ्लैट में सुराग तलाशे के लिए न सिर्फ डमी टेस्ट किया गया बल्कि नीरज और सिद्धार्थ पिठानी की मौजूदगी में सुशांत की लाश बरामद होने से पहले क्या-क्या हुआ, कौन-कौन कहाँ मौजूद था वो सब भी री-कंस्ट्रक्शन में शामिल किया।
- सुशांत के फ्लैट की फोटोग्राफी की गई।
- सुशांत के कमरे और घर के हर कोने और गेट-खिड़कियों और कमरे में रखे सामान से एक बार फिर फॉरेंसिक टीम ने फिंगर प्रिंट्स जुटाए।
- सिद्धार्थ पिठनी और नीरज की मौजूदगी में डमी को पंखे से लटकाया गया। सिद्धार्थ और नीरज के बयानों को वेरीफाई करने के लिए कैसे उस दिन बॉडी नीचे उतारी गई, कैसे कुर्ते को काटा गया, किसने काटा, इस सब प्रोसेस में कितना टाइम लगा ये भी नोट किया गया। फ़ोन कॉल के बाद और पुलिस के आने तक कौन-कौन कहाँ था और किस-किस ने क्या किया ये भी री-कंस्ट्रक्शन का हिस्सा था।
- डमी बॉडी को पंखे से लटकाया गया और पिठनी, नीरज की मदद से समझा गया कि उन्होंने बॉडी को कैसे और किन हालात में लटके हुए देखा था।
- डमी को पंखे से नीरज और सिद्धार्थ की मदद से उतार गया जैसे उन्होंने अपने बयान में लिखवाया था कि उस दिन किस तरह इन्होंने बॉडी को नीचे उतारा था।
- पुलिस के आने पर डेडबॉडी कहाँ रखी थी, किन हालात में थी, कैसे बॉडी को बैग में रखकर नीचे लाया गया, ये भी री-कंस्ट्रक्शन में शामिल किया गया था।
- SIT ने सुशांत के फ्लैट की छत पर भी फोटोग्राफी की, फ्लैट की सभी एग्जिट और एंट्री पॉइंट की संभावनाओं को समझने की कोशिश की। यानी किसी बाहरी शख्स के घर मे चोरी-छिपे आने की संभावनाओं को समझने की कोशिश हुई।
- सुशांत के पड़ोसियों के बयान दर्ज किए गए जिसमे एक महिला ने बताया कि 13 जून को सुशांत के घर पर कोई पार्टी नहीं हुई थी, देर शाम ही सारी लाइट्स स्विच ऑफ हो चुकी थीं।
- बिल्डिंग के गेट पर रखे गेस्ट रजिस्टर को चेक किया गया, जानने की कोशिश की गई कि घटना वाले दिन से पिछले 24 घंटे में कौन-कौन बिल्डिंग में आया और गया। रजिस्टर की कॉपी भी ली गयी।
- री-कंस्ट्रक्शन के दौरान बांद्रा पुलिस के उन जांच अधिकारी और पुलिस टीम को भी सीबीआई ने मौके पर बुलाया जो 14 जून को कॉल मिलने के बाद मौके पर पहुंचे थे। उनसे पूछा गया कि जब वो कॉल मिलने के बाद मौके पर पहुँचे तो फ्लैट के अंदर और सुशांत के कमरे में किस तरह का माहौल था, कौन-कौन कहाँ मौजूद था, डेडबॉडी किन हालात और कहां पड़ी थी? पहली नजर में पुलिस ने इसे खुदकुशी क्यों मान लिया? इसका जवाब भी ऑन स्पॉट री-कंस्ट्रक्शन के दौरान मुम्बई पुलिस टीम के दर्ज किए गए।
- सोसाइटी के गार्ड के बयान भी दर्ज किए गए।
- करीब साढ़े 5 घंटे की तफ्तीश के बाद शाम पौने 8 बजे सीबीआई के फॉरेंसिक टीम और SIT मौके से निकल गयी।