आत्महत्या या हत्या? सुशांत मामले में फॉरेंसिक जांच स्थिति करेगी स्पष्ट
बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत से संबंधित लाखों लोगों के सवाल का जवाब अगले पखवाड़े के भीतर दिया जा सकता है, क्योंकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली से भारत की सर्वोच्च फोरेंसिक टीम इस मामले के पहलुओं की जांच करन
क्या यह आत्महत्या का ही मामला है या हत्या की गई है? बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत से संबंधित लाखों लोगों के सवाल का जवाब अगले पखवाड़े के भीतर दिया जा सकता है, क्योंकि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली से भारत की सर्वोच्च फोरेंसिक टीम इस मामले के पहलुओं की जांच करने के लिए तैयार है।
एक विस्तृत ऑटोप्सी रिपोर्ट के अलावा, प्रारंभिक जांच (पंचनामा) और पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी की शुरूआत से जांच की जाएगी।
एम्स में फॉरेंसिक विभाग के प्रमुख सुधीर के गुप्ता ने कहा, घटनास्थल पर सुशांत की मौत का फैसला करने वाला पहला व्यक्ति कौन था? उन्होंने किस आधार पर यह जाना कि सुशांत नहीं रहे? हमारे पास उक्त व्यक्ति से पूछने के लिए इस तरह के प्रश्न हैं।
गुप्ता को एशिया में अग्रणी फोरेंसिक सर्जनों में से एक माना जाता है।
गुप्ता के अनुसार, जांच रिपोर्ट एक और महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जिसकी विस्तार से जांच की जानी चाहिए। पंचनामा में अपराध के ²श्य के सभी अवयवों का पता चलता है। इसमें शरीर की स्थिति, अंगों और मृतक द्वारा पहने गए कपड़ों की स्थिति और उसके आसपास के विवरण का वर्णन होता है।
गुप्ता ने कहा, हमें सुशांत के कमरे की सभी तस्वीरों की जरूरत है, जहां शव मिला था। घटनास्थल पर की गई पूरी फोरेंसिक की फिर से जांच की जानी है।
सुनंदा पुष्कर मामला, जेसिका लाल हत्याकांड, शिवानी भटनागर और नीतीश कटारा की हत्याओं के बारे में गुप्ता के अनुमान से सीबीआई को महत्वपूर्ण सुराग प्राप्त हुए थे।
पत्रकार निरुपमा पाठक की रहस्यमयी मौत मामले में गुप्ता के निष्कर्षों ने जांच का मार्ग बदल दिया था।
सुशांत सिंह राजपूत के मामले की तरह, मीडिया ने निर्मला की मौत पर भी सवाल उठाए थे कि यह हत्या थी या आत्महत्या?
कुछ गवाहों के आधार पर मीडिया रिपोटरें में आरोप लगाया गया कि निर्मला, एक कोडरमा (झारखंड) आधारित लिपिक थी, जो ऑनर ??किलिंग की शिकार थी और उनकी हत्या उनके माता-पिता ने की थी।
सार्वजनिक दबाव में निर्मला की मां को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। हालांकि, एम्स टीम द्वारा मामले की फोरेंसिक जांच ने निष्कर्ष निकाला कि निर्मला ने आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद निर्मला की मां को आखिरकार बरी कर दिया गया।
सुशांत मामले पर विस्तार से बात करने से इनकार करते हुए, गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, यह एक बहुत ही संवेदनशील मामला है। सार्वजनिक भावनाएं मृतक के परिवार के साथ हैं। मैं जांच से संबंधित किसी भी मुद्दे पर नहीं बोलूंगा।
हालांकि, फोरेंसिक विभाग के सूत्रों ने खुलासा किया कि सीबीआई और फॉरेंसिक विशेषज्ञ शुरूआती जांच में सबसे पहले छूट गई चीजों व गलतियों की जांच करेंगे। अपराध स्थल पर किसी भी सबूत के साथ की गई छेड़छाड़ या किसी भी संकेत को छोड़ने की विस्तृत जांच की जाएगी। यही तथ्य यह पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र होंगे कि क्या मुंबई पुलिस या डॉक्टरों के पैनल ने सही तरीके से काम किया है या नहीं।
मुंबई के कूपर अस्पताल में 15 जून को सुशांत के शव का परीक्षण किया गया था, जिसमें दो फॉरेंसिक सर्जन, शिव कुमार और सचिन सोनवणे सहित डॉक्टरों की एक टीम ने निष्कर्ष निकाला था कि सुशांत की मृत्यु फांसी के कारण दम घुटने (श्वासावरोध) के कारण हुई।
अपनी ऑटोप्सी रिपोर्ट में, पांच डॉक्टरों के पैनल ने इस मामले में कोई भी ऐसा संकेत नहीं दिया, जिससे कहा जा सके कि उनके साथ कुछ अप्रिय घटना हुई थी। उन्होंने ऐसा कोई शक जाहिर नहीं किया, जिससे उनकी हत्या का संदेह पैदा हो।
एम्स के एक सूत्र ने कहा कि एक बार एम्स की फोरेंसिक टीम की ओर से शव परीक्षण की वीडियोग्राफी और तस्वीरों (यदि ली गई हैं) की फिर से जांच होगी तो स्थिति और स्पष्ट होगी।
संभवत: एम्स के फोरेंसिक विशेषज्ञों का पैनल और कूपर अस्पताल के डॉक्टरों का पैनल, जिसने पोस्टमार्टम किया, बॉलीवुड स्टार की मौत के कारणों पर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सात पेज की ऑटोप्सी रिपोर्ट पर गहन चर्चा होगी।
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि एक बार सभी दस्तावेजों, केस डेयरियों, और गवाहों के बयानों का अध्ययन करने पर एजेंसी पहले इस बात पर ध्यान देगी कि क्या कोई बाहरी हाथ मामले में शामिल रहा था या नहीं।
एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा, सीबीआई संवेदनशील मामलों को संभालने के लिए जानी जाती है। हम दबाव में नहीं आते। हम मामले की जांच खुले दिमाग से कर रहे हैं। सुशांत सिंह की हत्या हुई या उन्होंने आत्महत्या की, इसे केवल दस्तावेज और फॉरेंसिक साक्ष्य ही साबित करेंगे।