देश के बेस्ट डॉयरेक्टरों में से एक सत्यजीत रे का आज 27 वां पुण्यतिथि है। इस खास मौके पर आज हम आपको इस महान आदमी से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां बताएंगे। सत्यजीत रे ने अपनी पहली फिल्म पथेर पांचाली से ही फिल्मी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली। ऐसे कम डॉयरेक्टर होते हैं जिनकी पहली फिल्म दुनिया में एक मिसाल बन जाती है।
देश के सबसे महान फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के बारे में काफी लोग नहीं जानते होंगे कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत महज एक चित्रकार के तौर पर की थी। सत्यजीत रे की 2 मई 1921 में जन्में सत्यजीत रे का 23 अप्रैल 1992 को निधन हो गया था। उनकी पुण्यतिथि पर हम आपके साथ उनसे जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से शेयर करने जा रहे हैं।
सत्यजीत रे जन्म कला और साहित्य के जगत कोलकाता में हुआ था। बहुत कम लोग जानते होंगे कि सत्यजीत रे ने करियर की शुरुआत एक चित्रकार के तौर पर की थी। बाद में फ्रांसिसी फिल्म निर्देशक जॉ रन्वार से मिलने और लंदन में इतालवी फिल्म लाद्री दी बिसिक्लेत फिल्म बाइसिकल चोर देखने के बाद फिल्म निर्देशन की ओर उनका रुझान हुआ।
इसके बाद सत्यजीत रे ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और भारत के सर्वोच्च फिल्म निर्देशक के रूप में सामने आए। सत्यजीत रे की पहली फिल्म 'पथेर पांचाली' थी। इसके बाद सत्यजीत ने फिल्मों की लाइन लगा दी।
सत्यजीत को फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया। भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय सत्यजीत रे को ही जाता है। फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था।
सत्यजीत रे की निजी जिंदगी भी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं रही। सत्यजीत रे की पत्नी बिजोया ने अपनी किताब ‘माणिक एंड आई’ में इन अनुभवों को साझा किया है। 1992 में सत्यजीत रे के निधन तक लिखी गई उनकी निजी डायरी पर आधारित इस किताब को पेंग्विन इंडिया ने प्रकाशित किया है।
बिजोया ने बताया कि कैसे हम दोनों 8 साल तक डेटिंग करते रहे और फिर चुपचाप शादी कर ली। इसके बाद एक योजना बनाकर दोनों परिवारों को राजी किया। उन्होंने बताया कि वह और माणिक बचपन से ही दोस्त थे, लेकिन 1940 के आसपास वह दोनों एक दूसरे के ज्यादा करीब आए।
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