ये है बॉलीवुड का सबसे खतरनाक विलेन, देखकर ही दर्शकों के मन में बैठ जाता था खौफ
सदाशिव अमरापुरकर को सिनेमाजगत का सबसे खतरनाक विलेन कहा जाता है। जानिए इनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
बॉलीवुड के सबसे खतरनाक विलेन का जब भी नाम आता है तो सदाशिव अमरापुरकर हमेशा लोगों के जहन में आते हैं। चेहरे के हाव भाव और अभिनय की कला में नुपुण ये कलाकार आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन इनके किरदार का खौफ आज भी सिनेमाप्रेमियों के दिल में है। कई बार तो फिल्मों में ये नकारात्मक भूमिका में होने के बावजूद हीरो पर भी भारी पड़ जाया करते थे। सदाशिव अमरापुरकर की 11 मई को बर्थ एनिवर्सरी है। जानिए इनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
सदाशिव का जन्म 11 मई 1950 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ था। हिंदी सिनेमाजगत में इस अभिनेता ने गोविंद निहलानी की फिल्म 'अर्द्ध सत्य' से कदम रखा था। इस फिल्म में सदाशिव का रोल काफी छोटा था बावजूद इसके ये अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस किरदार के लिए सदाशिव को फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।
इसके बाद सदाशिव अमरापुरकर ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सदाशिव ने 300 से ज्यादा हिंदी, मराठी, बंगाली, तेलुगू और तमिल फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। खास बात है कि सदाशिव ने निगेटिव किरदार के अलावा कॉमेडी में भी हाथ आजमाया और दोनों में ही लोगों ने अभिनेता को तहे दिल से स्वीकार भी किया। हालांकि उनका निगेटिव किरदार उनकी कॉमेडी पर हमेशा भारी पड़ता ही दिखा।
सदाशिव की कई फिल्में सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं। इन फिल्मों में 'मोहरा', 'सड़क', 'एलान-ए-जंग', 'गुप्त', 'हुकूमत', 'कोहराम', 'सबसे बड़ा खिलाड़ी', 'काफिला' और 'खतरों के खिलाड़ी' शामिल हैं। इन सभी फिल्मों में सदाशिव का 'सड़क' फिल्म का रोल आज भी लोगों के जहन में जिंदा है। 'सड़क' फिल्म में सदाशिव किन्नर का रोल निभाने से भी नहीं चूंके। इसमें उनका अभियन से लेकर मेकअप तक, सभी ने लोगों को हिलाकर रख दिया था।
सदाशिव अमरापुरकर ने दुनिया को साल 2014 में अलविदा कह दिया था। सदाशिव फेफड़ों के संक्रमण की बीमारी से पीड़ित थे। भले ही ये महान कलाकर इस दुनिया में आज नहीं हैं लेकिन इनकी फिल्में लोग आज भी उतने ही चाव से देखते हैं।