पटना: संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' को पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में रिलीज करने का आदेश दिए जाने के बाद भी करणी सेना ने इसे कई राज्यों में प्रदर्शित नहीं होने दिया। लेकिन अब सोमवार को बिहार की राजधानी पटना के सिनेमाघरों में फिल्म दिखाई जानी शुरू कर दी गई है। सभी सिनेमाघरों में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। 'पद्मावती' से 'पद्मावत' हुई यह फिल्म बीते गुरुवार को रिलीज हुई थी, लेकिन करणी सेना और क्षत्रिय महासभा समेत कई हिंदू संगठनों के हिंसापूर्ण विरोध के कारण पटना के सिनेमाघरों के प्रबंधकों ने इस फिल्म को न दिखाने का निर्णय लिया था। विरोध का उन्माद ठंडा पड़ने के बाद यह फिल्म अब कड़ी सुरक्षा के बीच दिखाई जा रही है, क्योंकि देश का सर्वोच्च न्यायालय इस पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है।
पटना में सोमवार को फिल्म प्रेमी दर्शकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। मोना सिनेमा में फिल्म देखने पहुंचे दर्शकों ने कहा कि पूरे देश में भारी विरोध के बाद आखिरकार पटना में भी यह फिल्म दिखाई जाने लगी। कई लोग पूरे परिवार के साथ 'पद्मावत' देखने पहुंचे। दर्शकों की भीड़ में बड़ी संख्या में लड़कियां और महिलाएं भी शामिल थीं। पटना के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जिन सिनेमाघरों ने सुरक्षा मांगी है, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई है। उन्होंने कहा कि राजधानी की विधि-व्यवस्था बिगाड़ने की इजाजत किसी को भी नहीं दी जा सकती। पटना के मोना सिनेमाघर में मंगलवार तक के लिए 'पद्मावत' के सभी टिकट बिक चुके हैं। बिहार के कई सिनेमाघरों में यह फिल्म 25 जनवरी से ही दिखाई जा चुकी है।
सिनेमाघरों से निकल रहे दर्शक जिस तरह इस फिल्म की प्रशंसा कर रहे हैं, उससे स्पष्ट है कि इसका विरोध एक सोची-समझी रणनीति के तहत शुरू किया गया। हिंसापूर्ण विरोध को सत्ताधारियों का परोक्ष समर्थन मिलने से यह भी साफ हो गया कि यह प्रायोजित 'तमाशा' राजपूत वोट पाने के लिए खड़ा किया गया। पहले गुजरात व हिमाचल प्रदेश में चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे को हवा दी गई। कुछ हफ्ते विराम के बाद फिर से आग सुलगाई गई, क्योंकि इसी साल आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाला है। फिल्म एक कला है और कलाप्रेमी समझ चुके हैं कि वोट की चाहत में कला का गला दबाने का प्रयास चल रहा है।
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