नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकि अब तक के अपने फिल्मी करियर में लगभग हर तरह के किरदारों को बखूबी पर्दे पर उतार चुके हैं। नवाजुद्दीन व्यावसायिक और स्वतंत्र सिनेमा के बीच ताल-मेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। नवाजुद्दीन का कहना है कि वह अब भी मसाला फिल्में करने में थोड़ा संकोच करते हैं क्योंकि वे अकसर उन्हें अपने अभिनय की कला को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान नहीं कर पाती। ‘बदलापुर’, ‘बजरंगी भाईजान’ और ‘रईस’ जैसी कई कमर्शियल हिट फिल्में दे चुके नवाजुद्दीन का कहना है कि उनकी छोटे बजट की फिल्में ही हैं जो उन्हें एक कलाकार के तौर पर अपने विभन्न रूपों को बाहर लाने के लिए उत्साहित करती हैं।
उन्होंने कहा, “मैं हमेशा विशेष प्रवृति की फिल्मों का चयन नहीं कर पाता। ‘मांझाी’ और ‘रमन राघव 2.0’ जैसी मेरी सभी एकल फिल्में अलग तरह की थीं। वे सामान्य बॉलीवुड फिल्में नहीं थीं, जो अधिकतर दर्शकों की पसंद होती हैं।“ उन्होंने कहा, “मैं जिस तरह की फिल्में करता हूं उन्हें समझाना भले ही मुश्किल हो लेकिन उनमें अपने अभिनय को प्रदर्शित करने का अवसर अधिक मिलता है, जिसका मैं सबसे अधिक लुत्फ उठाता हूं।“
नवाज की हाल में रिलीज हुई फिल्म ‘बाबूमोशाय बन्दूकबाज’ ने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक कारोबार किया था। अभिनेता ने कहा कि, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि फिल्म को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी क्योंकि उसमें वयस्क.... था।“ बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद की बात हो या नस्लवाद की। हमेशा अपने दिल की बात खुलकर कहने वाले नवाज ने कई बार यह साबित किया है कि वह एक साहसी कलाकार हैं। उन्होंने कहा, “चाहे हालात कितने ही मुश्किल क्यों न हों, आपको हमेशा अपने मन की बात करनी चाहिए और कभी अपने विचारों को व्यक्त करने से डरना नहीं चाहिए। और मुझे लगता है कि मैंने यह मुकाम हासिल किया है, जहां कुछ गलत लगने पर मैं अपने विचार व्यक्त कर सकूं।“
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