नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित संगीतकार वनराज भाटिया बदहाली में बिता रहे हैं जिंदगी, मदद को आगे आए कबीर बेदी
वनराज को 1988 में रिलीज हुई फिल्म 'तमस' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का नेशनल अवॉर्ड मिला था।
मुंबई: फिल्म इंडस्ट्री भी कैसी जगह है? जब तक आपके अंदर काम करने की क्षमता होती है, तभी तक लोग आपको याद रखते हैं। जैसे ही आप लाइमलाइट से दूर होने लग जाते हैं, कोई आपका हाल-चाल पूछने तक नहीं आता। 31 साल पहले सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन का नेशनल अवॉर्ड जीते चुके मशहूर संगीतकार वनराज भाटिया (Vanraj Bhatia) के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। वे बदहाली में दिन बिता रहे हैं।
खबरों की मानें तो वनराज मुंबई के एक किराए के मकान में अकेले रह रहे हैं। उन्हें सुनाई देना लगभग बंद हो गया है। घुटनों में दर्द की वजह से बिस्तर से उठ नहीं पाते हैं। बैंक अकाउंट में पैसे खत्म हो चुके हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
इस तरह हो रहा है गुजर बसर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वनराज ने शादी नहीं की थी। उनकी बहन कनाडा में रहती हैं। मुंबई में कुछ रिश्तेदार उनकी आर्थिक मदद कर देते हैं। सुजीत कुमारी नाम की नौकरानी उनकी देखभाल कर रही है। मुंबई मिरर से बातचीत में सुजीत ने बताया कि वनराज के पास कुछ ब्रिटिश क्रॉकरीज हैं, जिन्हें बेचकर गुजर बसर हो रहा है।
1988 में जीत चुके हैं नेशनल अवॉर्ड
वनराज को 1988 में रिलीज हुई फिल्म 'तमस' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का नेशनल अवॉर्ड मिला था। इस मूवी में ओमपुरी, दीपा साही, भीष्म साहनी और सुरेखा सीकरी जैसे उम्दा कलाकार थे। वनराज ने 'अंकुर, मंथन', 'भूमिका', 'मंडी', 'जुनून', 'कलयुग', 'त्रिकाल', 'सूरज का सातवां घोड़ा' और 'सरदारी बेगम' जैसी फिल्मों में संगीत दिया है।
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भारत सरकार ने पद्मश्री से किया सम्मानित
भारत सरकार ने 2012 में उन्हें कला के क्षेत्र में अहम योगदान देने के लिए पद्मश्री से भी सम्मानित किया था। वे लंदन की रॉयल एकेडमी ऑफ म्यूजिक के गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के वेस्टर्न म्यूजिक डिपार्टमेंट के इंचार्ज भी रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने कई विज्ञापनों के जिंगल्स, फिल्मों और टीवी सीरियल्स में संगीत दिया है।
मुश्किल घड़ी में कबीर बेदी ने बढ़ाया हाथ
इस मुश्किल घड़ी में वनराज भाटिया की मदद के लिए सबसे पहले एक्टर कबीर बेदी सामने आए हैं। उन्होंने ट्विटर अकाउंट पर इसकी जानकारी दी है। साथ ही लोगों से अपील की है कि इस मुश्किल वक्त में वनराज भाटिया का साथ दें।
इन हस्तियों ने भी गुमनामी में बिताई जिंदगी
वनराज भाटिया पहला ऐसा नाम नहीं है, जिसने अपनी जवानी के दिनों में तो खूब शोहरत और नाम कमाया, लेकिन जैसे-जैसे उन पर बुढ़ापे की परछाई पड़ने लगी, लोगों ने उनसे किनारा कर लिया। बॉलीवुड के पहले 'डांसिंग हीरो' के नाम से मशहूर भगवान दादा, भारत भूषण, अचला सचदेव, विनी, एके हंगल और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित सुपरस्टार सुलोचना का नाम भी शामिल हैं। इनमें से किसी को चौकीदार तक की नौकरी करनी पड़ी तो कोई खाने के एक-एक दाने का मोहताज हो गया था, लेकिन इनके अंतिम समय में किसी ने इनकी सुध नहीं ली।
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