बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर को तोड़ने के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
जाने-माने बैरिस्टर विनोद तिवारी ने बताया, "24 अक्टूबर, 2019 के अपने एक ऐतिहासिक फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा था कि अवैध निर्माण से संबंधित किसी मामले में नोटिस दिए जाने के 24 घंटे के भीतर अगर कोई प्रतिक्रिया न आए तो बीएमसी के पास उस संपत्ति को ध्वस्त करने का अधिकार है।"
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कंगना के मामले में भी जब महानगरपालिका को अवैध निर्माण का पता चला, तो नियमानुसार धारा 351 के तहत संपत्ति के मालिक को 24 घंटे के भीतर कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा गया।
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की सर्वोच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा, डिजिटली टाइम और डेट के साथ मौजूद तस्वीरों में स्पष्ट रूप से अवैध संरचना दिखाई पड़ती है।
ऐसे में अगर नोटिस पर यथार्थपूर्ण जवाब आता है, तो नागरिक प्राधिकरण द्वारा इस पर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित किया जा सकता है, लेकिन यदि जवाब संतोषजनक नहीं है, तो संपत्ति को नुकसान पहुंचाए जाने से पहले विपरीत पक्ष को सात दिन का समय देकर फिर से सूचित किया जाएगा। मामले में संपत्ति के मालिक को अदालत में जाने का पूर्ण अधिकार है।
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बैरिस्टर तिवारी ने समझाते हुए कहा, "हालांकि यदि संबंधित पक्ष 24 घंटे की समय सीमा के भीतर नोटिस का जवाब देने में सक्षम नहीं रहते हैं, तो बीएमसी को शीर्ष अदालत द्वारा तय कानून के मुताबिक संपत्ति को ध्वस्त करने का अधिकार है, जैसा कि 9 सितंबर को कंगना के मामले में किया गया।"
कंगना के मामले में बीएमसी ने साल 2018 में उन्हें नोटिस जारी करने के बाद जवाब दाखिल करने के लिए काफी लंबा वक्त दिया था। कंगना ने इस मामले के खिलाफ अपील भी की थीं और हार गई थीं।
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