कबीर खान ने क्यों कहा कि सरकार फिल्म जगत को हल्के में लेती है, जानिए
कबीर खान ने कहा है कि उड़ता पंजाब पर बंबई उच्च न्यायालय का फैसला निर्देशकों को बढ़ावा देगा लेकिन उनका मानना है कि अब वक्त आ गया है जब सरकार को फिल्म जगत को गंभीरता से लेना चाहिए।
मुंबई: विवादों में रही फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ ने पूरे बॉलीवुड को एकजुट कर दिया है। इस फिल्म के कारण जैसे हर कोई आवाज उठाने लिए मजबूर हो गया था। हाल ही में फिल्मकार कबीर खान ने कहा है कि उड़ता पंजाब पर बंबई उच्च न्यायालय का फैसला निर्देशकों को बढ़ावा देगा लेकिन उनका मानना है कि अब वक्त आ गया है जब सरकार को फिल्म जगत को गंभीरता से लेना चाहिए। कबीर खान ने कहा, “सोमवार को (बंबई) उच्च न्यायालय का फैसला वाकई बहुत बड़ा कदम है। हमें किसी हस्तक्षेप की जरूरत थी, हम किसी प्रकार के हस्तक्षेप का इंतजार कर रहे थे, संभवत: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, पर उच्च न्यायालय का फैसला आया।“
इसे भी पढ़े:- ‘उड़ता पंजाब’ पर हाईकोर्ट के फैसले से क्यों खुश नहीं है विवेक
अदालत के फैसले से खुश, निर्माता ने ‘उड़ता पंजाब’ की रिलीज डेट बताई
सॉफ्ट पावर, हार्ड इंफ्लूएंस विषय पर आयोजित परिचर्चा में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप और सैफरॉनआर्ट के सीईओ हुगो वेईहे के साथ ‘बजरंगी भाईजान’ के निर्देशक कबीर भी हिस्सा ले रहे थे।
अदालत ने सोमवार को सेंसर बोर्ड को आदेश दिया कि वह सिर्फ एक बदलाव के साथ 48 घंटों के भीतर ‘उड़ता पंजाब’ को प्रमाणपत्र सौंपे ताकि निर्माता उसे 17 जून को रिलीज कर सकें।
कबीर ने कहा, “यह बहुत बड़ा कदम है। यह फिल्म निर्माताओं को ग्यानवद्र्धक विषयों पर फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। और यदि सेंसर बोर्ड के प्रमुख आपसे सहमत नहीं होते हैं, तो आपके पास अदालत जाने और वहां से फिल्म को रिलीज कराने का विकल्प होगा। हमें बस ऐसी फिल्में बनाते रहना चाहिए जो महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं।“ उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री को अक्सर ऐसा महसूस होता है कि सरकार उन्हें बहुत हल्के में लेती है, जबकि वास्तविकता है कि यह दुनिया भर में बहुत ही प्रभावी माध्यम है।
कबीर ने कहा, “इंडस्ट्री में कभी-कभी हमें ऐसा लगता है कि सरकार हमें बहुत हल्के में लेती है। ऐसा लगता है कि जैसे सबकुछ सिर्फ नाचना, गाना और तमाशा है। उन्हें यह समझना होगा कि बॉलीवुड दुनिया भर में बहुत सशक्त प्रभावी माध्यम है। हमें इसे पहचानने की जरूरत है।“