बॉलीवुड के 'रहीम चाचा' ने नाम से मशहूर एके हंगल ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 50 साल की उम्र में की थी। फिल्मों में एक्टिंग करने का मौका उन्हें इतने सालों बाद इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी में कई त्रासदियों को देखा। हिन्दुस्तान-पाकिस्तान के बंटवारे लेकर बहुत ही कम उम्र में उनकी पत्नी के गुजर जाने तक एके हंगल ने कई कठिनाइयों का बोझ अपने सीने पर उठाया।
एके हंगल का जन्म 1917 में कश्मीरी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने बचपन से जवानी तक के दिनों को पेशावर और कराची में बिताया। बंटवारे के बाद वह हिन्दुस्तान आए और 60 से 70 की दशक में उन्होंने फिल्मों में कैरेक्टर आर्टिस्ट के तौर काम किया। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई किरदरा निभाए लेकिन उन्हें दुनिया 'शोले' के 'रहीम चाचा' के नाम से ही जानती है, जिनका डायलॉग - इतना संनाटा क्यों है भाई, काफी मशहूर हुआ।
फिल्मों की दुनिया में कदम रखने से पहले एके हंगल थिएटर्स में एक्टिंग किया करते थे। थिएटर्स में काम करने के साथ-साथ वह अपनी जिंदगी गुजर-बसर करते थे। पत्नी के निधन के बाद उन्होंने अपने बेटे को अकेले ही पाला और उन्हें एक मां की कमी को महसूस होने नहीं दी।
अपनी जिंदगी में कई पहलुओं से गुजर चुके एके हंगल ने देश की आजादी की लड़ाई भी लड़ी थी। जेहनी तौर पर मार्क्सवादी होने की बदौलत उन्होंने क्रांतिकारी मनसूबे से आजादी की लड़ाई लड़ी और तीन साल कराची के जेल में भी बिताए। साल 1949 में बंटवारे के बाद उन्होंने मुंबई आने का फैसला किया, फिल्मों में एक्टिंग की लालसा लिए एके हंगल ने 50 साल की उम्र में सिनेमाई पर्दे पर खुद को स्थापित किया।
अपनी जिंदगी में लगभग 225 फिल्मों में काम कर चुके एके हंगल उम्र के आखिरी समय तक सिनेमाई दुनिया में एक्टिव रहे। एके हंगल की मशहूर फिल्मों में 'नमक हराम', 'अभिमान' 'शोले', 'बावर्ची', 'छुपा रुस्तम', और 'गुड्डी' शामिल हैं। उन्होंने अपनी ढलती उम्र में पड़ाव पर भी फिल्म 'लगान' में एक्टिंग कर सभी को चौंका दिया।
Latest Bollywood News