दादासाहेब फाल्के की 148वीं जयंती पर गूगल ने बनाया डूडल
गूगल ने अपने पोस्ट में उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, "आज का डूडल दर्शाता है कि युवा दादा साहेब भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहले दौर के कुछ रत्नों को निर्देश दे रहे हैं।"
मुंबई: भारतीय सिनेमा के जनक धुंडिराज गोविंद फाल्के को गूगल ने उनकी 148वीं जयंती पर डूडल के जरिए याद किया। दादासाहेब फाल्के के नाम से चर्चित भारतीय फिल्म उद्योग के इस पुरोधा ने देश में पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनाई थी। उनकी यह फिल्म 3 मई, 1913 को रिलीज हुई थी। यह एक मूक फिल्म थी जिसमें लाइट, कैमरा और एक्शन का कमाल ऐसा था कि देखने वालों को आवाज की कमी ज्यादा खली नहीं। दादासाहेब फाल्के की याद में बनाए गए गूगल के डूडल में युवा फाल्के को श्वेत-श्याम फिल्म की निगेटिव रील हाथ में लिए हुए दिखाया गया है। डिजिटलीकरण के मौजूदा दौर में निगेटिव हालांकि चलन से बाहर हो गया है।
गूगल ने अपने पोस्ट में उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, "आज का डूडल दर्शाता है कि युवा दादा साहेब भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहले दौर के कुछ रत्नों को निर्देश दे रहे हैं।" गूगल ने कहा, "एक विद्वान के पुत्र फाल्के को कला, विविध वस्तुओं के अध्ययन, फोटोग्राफी, लिथोग्राफी, आर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग और जादूगरी में गहरी अभिरुचि थी।"
हालांकि फाल्के के परिवार को दुख है कि भारती सिनेमा के जनक होने बावजूद फाल्के और उनकी पत्नी और भारतीय फिल्म की पहली तकनीशियन सरस्वती को मरणोपरांत भारतरत्न नहीं मिला। नासिक के ˜यंबकेश्वर में 30 अप्रैल, 1870 को पैदा हुए फाल्के ने बंबई के सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से 1890 में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। उसके बाद वह उच्च शिक्षा के लिए बड़ौदा के एम.एस. विश्वविद्यालय गए, जहां उन्होंने इंजीनियरिंग, ड्राइंग, पेंटिंग, स्कल्पचर और फोटोग्राफी का अध्ययन किया।
शुरुआत में फाल्के ने गोधरा में फोटोग्राफर के रूप में काम किया। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में कुछ दिनों काम करने के बाद वह जर्मनी चले गए। 2010 में लाइफ ऑफ क्राइस्ट फिल्म देखने के बाद उनकी फिल्म बनाने की इच्छा बलवती हो गई और वह फिल्म निर्माण सीखने के लिए लंदन चले गए।
वहां से भारत लौटने के बाद वह फिल्म बनाने में जुट गए और उनके प्रयास से भारत की फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र 3 मई, 1913 को मराठी में रिलीज हुई। फाल्के ने अपनी फिल्म कंपनी हिंदुस्तान फिल्म बनाई और अगले 25 साल तक करीब 95 फिल्में और 27 छोटी फिल्में बनाईं। 73 साल की आयु में 16 फरवरी, 1944 को उनका निधन हो गया।