गीता दत्त, गुजरे जमाने की मशहूर सिंगर जिन्होंने अपनी आवाज के जादू से कई गानों में जान डाली और उसे हमेशा के लिए अमर कर दिया। आज 20 जुलाई को गीता दत्त की पुण्यतिथि है। आज के दिन हम आपको इस सुरों की मल्लिका के उन गानों से रू-ब-रू कराने जा रहे हैं, जिसने न सिर्फ पिछली पीढ़ियों का मनोरंजन किया, बल्कि आज के वक्त में भी एक मीठे माजी की तरह लोगों के जेहन में जिंदा है।
गीता रॉय, जिन्होंने अभिनेता गुरु दत्त के संग शादी रचाई थी, का जन्म 23 नवंबर 1930 को पूर्वी बंगाल के फरीदपुर जिले में हुआ थास, जो अब बांग्लादेश में है। 1942 में, जब वह सिर्फ बारह साल की थीं तो उनके माता-पिता बंबई चले आए। वहां दादर में उनके छोटे से फ्लैट में, संगीत निर्देशक हनुमान प्रसाद ने एक दिन उन्हें से गाते हुए सुना। हनुमान प्रसाद ने गीता को फिल्म भक्त प्रह्लाद (1946) में गाने का मौका दिया। इस फिल्म में अपने गाने के दौरान, सुरों के अंतराल से उन्होंने रिकॉर्डिंग स्टूडियो में सभी को चकित कर दिया। इस प्रकार एक छोटी सी घटना उनके महान म्यूजिक कैरियर की उत्पत्ति बन गई।
आने वाले दो साल यानी 1947-48 में उनके करियर में आई फिल्म 'दो भाई' ने उन्हें अलग पहचान दी। इस फिल्म के संगीत ने बड़े पैमाने पर लोगों के दिलों में जगह बनाई, विशेष रूप से 'मेरा सुंदर सपना बीत गया' से गीता एक टॉप की प्लेबैक गायिका बन गईं। वास्तव में, 1947-1949 ने गीता रॉय को बंबई फिल्म इंडस्ट्री में नंबर एक प्लेबैक सिंगर के रूप में देखा क्योंकि वह लगातार अपनी फिल्मी गायकी से लोगों को अपना मुरीद बनाती गईं।
साल 1949-50 में चार फिल्में रिलीज हुईं - बरसात, अंदाज़, दुलारी और महल। इन फिल्मों में गीता की तरफ से गाए गाने स्मैशिंग हिट रहे। उनके हर फिल्म का संगीत पहले वाले से बेहतर होता चला गया। इन फिल्मों की सफलता और उनके गानों ने वह सब बदल दिया।
सुनें गीता दत्त की तरफ से गाए हसीन नग्में -
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