Gandhi Jayanti Special: महात्मा गांधी पर बनी इन 10 फिल्मों में ये कलाकार बने हैं बापू
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को मनाने के लिए देश पूरी तरह से तैयार है, ऐसे में आइए उन कलाकारों पर एक नजर डालते हैं, जिन्होंने पर्दे पर बापू के किरदार को उसी साहस और जोश के साथ निभाया।
नई दिल्ली: मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें लोग महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं, उन्होंने 30 जनवरी 1948 को अपनी आखिरी सांस ली, लेकिन बड़े पर्दे पर कई बार उनके किरदार को जिंदा किया गया। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को मनाने के लिए देश पूरी तरह से तैयार है, ऐसे में आइए उन कलाकारों पर एक नजर डालते हैं, जिन्होंने पर्दे पर बापू के किरदार को उसी साहस और जोश के साथ निभाया।
'गांधी' (1982) में बेन किंग्सले ने उनकी भूमिका निभाई। साल 1982 में रिचर्ड एटनबरो द्वारा निर्देशित ऑस्कर विजेता फिल्म 'गांधी' में ब्रिटिश अभिनेता बेन किंग्सले ने बापू के किरदार को निभाया था, इस फिल्म ने दर्शकों के दिलों-दिमागमें अपनी गहरी छाप छोड़ी।
'हे राम' (2000) में नसीरुद्दीन शाह : कमल हासन अभिनीत यह फिल्म भारत के विभाजन और नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी की हत्या के इर्द-गिर्द घूमती है। मजेदार बात तो यह है कि एटनबरो की फिल्म में गांधी के किरदार के लिए नसीरुद्दीन शाह ने ऑडिशन दिया था, हालांकि आखिरकार यह रोल किंग्सले की झोली में आ गिरी। 'हे राम' में नसीरुद्दीन के गांधी रूप को वह सराहना नहीं मिली जो किंग्सले के प्रयास को मिली, लेकिन उन्हें उनके अभिनय और गुजराती लफ्जों को सही ढंग से बोलने के लिए और भी प्रशंसा मिली।
'नाइन ऑवर्स टू रामा' (1963) में जे.एस. कश्यप : अंग्रेजी में बनी मार्क रॉबिनसन की यह फिल्म गांधी की हत्या से पहले नाथूराम गोडसे की जिंदगी के नौ घंटों के बारे में है। जर्मन अभिनेता होस्र्ट बुचहोल्ज ने फिल्म में गोडसे का किरदार निभाया था।
'सरदार' (1993) में अन्नू कपूर : सरदार वल्लभ भाई पटेल की जिंदगी पर बनी केतन मेहता की इस फिल्म में अन्नू कपूर ने महात्मा गांधी का किरदार निभाया था। इस महान नेता की भूमिका को बड़े पर्दे पर अदा करने के बाद अन्नू कपूर गांधी की डांडी यात्रा पर बनी डॉक्यूड्रामा 'खार' में भी उसी रूप में दिखे।
'द मेकिंग ऑफ महात्मा गांधी' (1996) में रजत कपूर : श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित इस फिल्म में अभिनेता रजत कपूर ने गांधी के किरदार में नजर आए थे। फिल्म में उनके इस किरदार ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिलाया था।
'डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर' (2000) में मोहन गोखले : फिल्म भले ही उनके किरदार पर नहीं बनी थी, लेकिन बी.आर. अंबेडकर पर बनी इस फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय से पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
'गांधी, माई फादर' (2007) में दर्शन जरीवाला
समीक्षकों द्वारा प्रशंसित इस फिल्म में लोगों ने उनके अभिनय की जमकर सराहना की और उन्हें उनके इस बेहतरीन प्रयास के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
'लगे रहो मुन्नाभाई' (2006) में दिलीप प्रभावलकर :संजय दत्त अभिनीत यह फिल्म न केवल गांधी जी के ऊपर बनी थी, बल्कि इसमें उनकी शिक्षाओं पर भी प्रकाश डाला गया था। इस कॉमेडी-ड्रामा फिल्म के निर्देशक राजकुमार हिरानी थे। इसमें दिखाया गया है कि आज के जमाने में भी गांधी प्रासंगिक क्यों हैं। इस ब्लॉकबस्टर फिल्म में बेहतरीन अभिनय के लिए दिलीप को सर्वश्रेष्ठ सहयोगी अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
'द लेजेंड ऑफ भगत सिंह' (2002), 'वीर सावरकर' (2001), 'बोस : द फॉरगोटेन हीरो' (2004) में सुरेंद्र राजन : बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि बड़े पर्दे को सुरेंद्र राजन ने ही महात्मा गांधी के किरदार को सबसे अधिक बार निभाया है। भले ही वह बॉलीवुड का एक जाना-माना चेहरा नहीं हैं, लेकिन इन फिल्मों में महात्मा गांधी के रूप में उनके किरदार ने अपना लोहा मनवाया है।
'महात्मा' (2009 तेलुगू फिल्म) में श्रीकांत : यह फिल्म एक उपद्रवी के बारे में है, जिसकी जिंदगी उस वक्त बदल जाती है, जब उसे अचानक गांधीवाद का पता चलता है। श्रीकांत ने फिल्म में बापू का किरदार निभाया था।