Death Anniversary Special: हीरो से विलेन तक अमरीश पुरी के ऐसे रोल जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता
12 जनवरी 2005 को अमरीश पुरी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। आइए आज आपको उनके कुछ खास रोल्स के बारे में बताते हैं।
अमरीश पुरी(Amrish Puri) भारतीय हिंदी सिनेमा के एक जाने-माने नाम थे। उनका हर रोल बाकियों से बिल्कुल अलग हुआ करता है। वह हिंदी जगत के ऐसे विलेन थे जिन्हें अभी तक उनके कई रोल्स के लिए याद किया जाता है। वह रोल उनसे बेहतर कोई नहीं निभा सकता था। अमरीश पुरी का जन्म 1992 में हुआ था। उन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत 1970 में आई फिल्म 'प्रेम पुजारी' से की थी। उसके बाद वह कई फिल्मों में नजर आए। 'निशांत', 'मंथन' जैसी कई फिल्मों में वह हीरो के रुप में नजर आए और उन्हें लोगों का बहुत प्यार भी मिला। मगर उन्हें खलनायक के रुप में बहुत पसंद किया गया।
अमरीश पुरी को उनकी कई फिल्मों के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिल चुके हैं। सिर्फ भारतीय सिनेमा में नहीं बल्कि इंटरनेशनल फिल्म इंडस्ट्री में भी लोगों ने उनके काम को काफी सराहा है। वह 1984 में बनीं 'इंडियन जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम' में मोलाराम के रोल से काफी फेमस हुए थे।
अमरीश पुरी के हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसे रोल हैं जिन्हें बुला पाना मुश्किल है। फिर वो फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में मोगैम्बो का रोल हो, 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में काजोल के पिता का रोल हो। सभी में लोगों को उन्होंने खूब एंटरटेन किया है। 1967 से लेकर 2005 तक अमरीश पुरी ने लगभग 400 फिल्मों में काम किया है।
12 जनवरी 2005 में अमरीश पुरी ब्लड कैंसर से ग्रसित होने की वजह से दुनिया को अलविदा कह दिया। मगर उनके किरदार अभी भी सभी के दिलों में बसे हुए हैं। तो आइए आज आपको उनके कुछ खास फिल्मों और किरदारों के बारे में बताते हैं।
हम पांच 1980:
गांधी 1982:
अंधा कानून 1983:
मेरी जंग 1985:
मिस्टर इंडिया 1987:
सूरज का सातवां घोड़ा 1992:
करण अर्जुन 1995:
दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे 1995:
कोयला 1997:
गदर: एक प्रेम कथा 2001:
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