दिलीप कुमार को बॉम्बे हाई कोर्ट से संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद से मिली राहत
दिलीप कुमार ने अपनी प्रोपर्टी को लेकर चल रहे विवाद के बाद सोमवार को चैन की सांस ली है।बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया है।
दिलीप कुमार(Dilip kumar) ने अपनी प्रोपर्टी को लेकर चल रहे विवाद के बाद सोमवार को चैन की सांस ली है।बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया है। दिलीप कुमार के बांद्रा के पाली हिल में स्थित इलाके में बंगले पर समीर भोजवानी अपना हक जता रहा था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बिल्डर का कहना है कि 2006 में दिलीप कुमार के द्वारा किए गए एग्रीमेंट से पीछे हटने की वजह से उन्हें 176 करोड़ का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट के जज बर्जिश कोलाबावाला ने कहा कि ऐसे अचानक से किसी के संपत्ति को इस तरीके से हथिया लेना कही से भी उचित नहीं है। इस पूरे विवाद में दिलीप कुमार और उनकी फैमिली को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा जो कही से ठीक नहीं है। इस पूरे मामले को देखते हुए दोनों पार्टी के बीच मध्यस्थता और आपस में बात करके विवाद को सुलझाने की बात कही है।
आपको बता दें दिलीप कुमार की प्रोपर्टी को लेकर विवाद 2006 से शुरू हुआ था। जब उन्होंने पहली बार शरयन्स डेवलपर के साथ उनके पाली हिल बंगले के डेवलपमेंट के लिए साइन किया था। जिसके बाद 2010 में शरयन्स ने यह डील प्रजिता डेवलपर को हैंडओवर कर दिया था। मगर दिलीप साहब इस बात से खुश नहीं थे और 2015 में वह इस डील से पीछे हट गए। ऐसा तब हुआ जब यह प्रजिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और आर्बिट्रेशन क्लॉज मंगवाया। जिसके बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट गया और उन्हें 20 करोड़ रुपए जमा करने होंगे और कहा गया कि प्रजिता यह पैसा तभी निकाल सकता है जब वह दिलीप कुमार को पजेशन दे देंगे।
जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनस के तहत यह फैसला लिया की कॉन्ट्रेक्ट तोड़ा गया है जिसकी वजह से बिल्डर को नुकसान हुआ था। जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने दिलीप कुमार को 25 करोड़ जमा करने के लिए कहा था। जिस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने अभी रोक लगा दी है।
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