Gulshan Grover Birthday: स्कूल जाने से पहले घरों में सामान बेचने जाते थे गुलशन ग्रोवर, 'आप की अदालत' में हो गए थे इमोशनल
लगभग 400 से ज्यादा फिल्में कर चुके अभिनेता गुलशन ग्रोवर 21 सितंबर को अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं।
Happy Birthday Gulshan Grover: लगभग 400 से ज्यादा फिल्में कर चुके अभिनेता गुलशन ग्रोवर 21 सितंबर को अपना 64वां जन्मदिन मना रहे हैं। दिल्ली में जन्में और यहीं पले-बढ़े गुलशन ने थियेटर और स्टेज शो किया। इसके बाद एक्टिंग के लिए मुंबई चले गए। अपने किरदार में जान फूंक देने वाले गुलशन 'बैडमैन' के नाम से भी मशहूर हैं।
गुलशन ने इंडिया टीवी पर प्रसारित होने वाले शो 'आप की अदालत' में शिरकत की थी, जहां उन्होंने इंडिया टीवी के एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा के सवालों के जवाब दिए। इस दौरान अपने स्ट्रगल के दौर को याद करते हुए गुलशन इमोशनल भी हो गए।
रजत शर्मा ने गुलशन से सवाल पूछा कि क्या आप बचपन से ही बहुत शैतान थे और पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल ध्यान नहीं देते थे?
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इस पर गुलशन ने कहा, 'मैं जहां भी रहा हूं, उनको आज भी यकीन नहीं होता कि इतना अच्छा बच्चा इस तरह के रोल भी कर सकता है। मैं जब नया-नया फिल्मों में गया। 'अवतार' फिल्म लगी और उसमें मैंने नालायक औलाद का रोल किया। मेरी मां जो रोजाना सुबह गुरुद्वारा जाती थी, तो सारी महिलाएं उनसे कहने लगी कि ये क्या हो गया। जब वो यहां से गया था तो ऐसा नहीं था। मुंबई वालों ने उसके ऊपर कुछ कर दिया है। मुझे नहीं लगता कि जो मुझे उस समय से जानता होगा, वो ये कहेगा कि मैं बहुत शरारती था।
रजत शर्मा ने दूसरा सवाल पूछा कि आप घर से भागकर मुंबई गए थे। आपकी मां चाहती थी कि आप पढ़-लिख कर कोई अच्छा काम करें!
इस पर गुलशन ने जवाब दिया, 'मैं हमेशा फर्स्ट आता था। स्कूल मे मेरा नाम पेंट से मेधावी छात्र के रूप में लिखा है। पहली बार स्कूल में हायर सेकेंडरी के बोर्ड में चार सब्जेक्ट में डिस्टिंक्शन के साथ मेरी फर्स्ट डिविजन आई थी। उसके बाद मैं श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में पढ़ाई करने के लिए गया, जहां एडमिशन लेने के लिए ही 93 फीसदी से ऊपर मार्क्स चाहिए। मेरी फिल्मों में जो कैरेक्टर्स हैं, ये उनका ही प्रभाव है कि उसकी वजह से जब मैं अपने बेटे को भी बताता हूं कि मेरे 93-94 फीसदी मार्क्स आते थे तो वो भी यकीन नहीं करता है।
गुलशन ग्रोवर ने अपने स्ट्रगल के बारे में बताते हुए कहा, 'मैं दिल्ली में पला-बढ़ा हूं। स्कूल की पढ़ाई के दौरान मैं रोज सुबह लोगों को डिटर्जेंट पाउडर बेचता था। घर की महिलाओं को कपड़े धोकर दिखाता था। मैं कहना चाहता हूं कि.. मेरे पास कम पैसे होने से या गरीब होने से.. जो मेरा सपना था कि मैं कुछ बनना चाहता हूं.. उसमें कहीं रुकावट नहीं आई..। मैं सुबह रोजाना लोगों को फिनायल और डिटर्जेंट पाउडर बेचने जाता था.. अपनी स्कूल की यूनिफॉर्म साथ में रखता था।'
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