Birthday Special: 5 बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी हैं शबाना आजमी, कॉमर्शियल सिनेमा के दौर में की 'अर्थ' जैसी फिल्में
शबाना ने केवल समांतर सिनेमा में ही अपना लोहा नहीं मनवाया, बल्कि 'अमर अकबर एंथोनी', 'हनीमून ट्रेवल्स', 'संसार' जैसी कॉमर्शियल फिल्मों में भी बेहतरीन काम किया।
भारतीय सिनेमा जगत की खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक शबाना आजमी 18 सितंबर को अपना जन्मदिन मना रही हैं। शबाना ना सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती रही हैं बल्कि अपने अभिनय के बल पर उन्होंने एक अलग मुकाम बनाया है। 18 सितंबर, 1950 को उर्दू के प्रख्यात शायर और गीतकार कैफी आजमी और थिएटर अभिनेत्री शौकत आजमी के घर जन्मीं शबाना ने अपने अभिनय की बदौलत अपना वर्चस्व कायम किया है। बॉलीवुड की ग्लैमरस और मायाजाल से दूर समानांतर सिनेमा में शबाना ने काम किया और हमें 'अर्थ', 'खंडहर', 'शतरंज के खिलाड़ी', 'मंडी' जैसी कई फिल्में मिलीं।
शबाना ने केवल समांतर सिनेमा में ही अपना लोहा नहीं मनवाया, बल्कि 'अमर अकबर एंथोनी', 'हनीमून ट्रेवल्स', 'संसार' जैसी कॉमर्शियल फिल्मों में भी बेहतरीन काम किया। अपने फिल्मी करियर में शबाना ने श्याम बेनेगल से लेकर सत्यजित रे, मृणाल सेन, अपर्णा सेन जैसे भारत के अधिकांश प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया।
मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री लेने के बाद शबाना के फिल्मों में आने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। जया बच्चन की फिल्म 'सुमन' से शबाना इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने फिल्मों में आने का मन बना लिया और अपनी इसी सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान में दाखिला ले लिया। अपनी पहली ही फिल्म 'अंकुर' में शबाना ने बता दिया कि वो इस लाइन मे बहुत आगे जाने वाली हैं।
शबाना ने 120 से ज्यादा हिंदी और बांग्ला फिल्मों में काम किया है और कई पुरस्कार अपने नाम किए। 'अंकुर', 'अर्थ', 'पार', 'गॉडमदर' और 'खंडहर' के लिए शबाना को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया। 'स्वामी', 'अर्थ' और 'भावना' के लिए शबाना को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार भी दिया गया।
पिता कैफी आजमी की लिखी पंक्तियों 'कोई तो सूद चुकाए, कोई तो जिम्मा ले/ उस इंकलाब का जो आज तक उधार है..' शबाना के दिल के इतने करीब है कि वो अक्सर चैरिटी करती हैं। इसी जज्बे से प्रेरित शबाना ने समाज के विभिन्न पहलुओं की जटिलताओं को पर्दे पर तो बखूबी दिखाया ही, साथ ही समाज के लिए कुछ करने के जज्बे से समाज सेवा से भी जुड़ीं।
शबाना आजमी को वर्ष 2012 में 'पद्मभूषण' से नवाजा गया। उन्हें गांधी इंटरनेशनल फाउंडेशन, लंदन द्वारा गांधी शांति पुरस्कार, शिकागो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 'फायर' के लिए 'सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का सिल्वर हुगो अवॉर्ड' जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
बचपन से ही शबाना की विचारधारा बेहद प्रगतिशील रही है, समाज के बनाए नियम-कायदों को अपनाने की जगह, हमेशा अपने दिल की सुनी। बात चाहे बोल्ड विषय पर बनी दीपा मेहता की 'फायर' जैसी फिल्म में अभिनय की हो या अपने निजी जीवन में पहले से ही शादीशुदा जावेद अख्तर से दूसरी शादी की हो, शबाना आजमी अपने फैसले पर अडिग रहीं और मन की आवाज सुनती आई हैं।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)