नयी दिल्ली: मुग़ल-ए-आज़म लगभग 58 साल पहले रिलीज़ हुई थी और आज भी इसका शुमार भारतीय हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फ़िल्मों में किया जाता है. के. आसिफ़ निर्देशित इस फ़िल्म के किरदार सलीम (दिलीप कुमार) अनारकली (मधुबाला), अकबर (पृथ्वीराज कपूर) और जोधा बाई (दुर्गा खोटे) आज भी लोगों के ज़हन में ताज़ा हैं। इस दौरान कई पीढ़ियां आईं और गईं लेकिन मुग़ल-ए-आज़म की ताज़गी पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। यूं तो दिलीप कुमार और मधुबाला ने कई यादगार किरदार निभाए हैं लेकिन सलीम और अनारकली तो मानों उनकी शक़्सियत का हिस्सा ही बन गए।
दरअसल अनारकली का किरदार अपने आप में इतना दमदार था कि आज के ज़माने की कई मशहूर अभिनेत्रियां मधुबाला पर रश्क़ करती हैं। उनकी हसरत है कि काश ये रोल उन्होंने किया होता। अनारकली के रोल के बाद मधुबाला सुपरस्टार बन गईं थीं लेकिन आपको जानकर ताज्जुब होगा कि ये रोल उन्हें इत्तफ़ाक से मिला था। के. आसिफ़ इस रोल के लिए किसी और को लेना चाहते थे
पाकिस्तानी न्यूज़ वेबसाइट डॉन के मुताबिक बेगम अली की बेटी सोफ़िया नाज़ ने इस बात का ख़ुलासा किया है। सोफ़िया नाज़ के अनुसार उनकी मां शादी के बाद भोपाल से मुंबई (बॉम्बे) चली गईं थीं। बेगम अली नाटकों में काम किया करती थीं और एक ऐसे ही नाटक में उन्होंने अनारकली की भूमिका निभाई थी। ये नाटक देखने के. आसिफ़ आए थे जो उस वक़्त मुग़ल-ए-आज़म के लिए अनारकली की तलाश कर रहे थे। वह बेगम अली की अदाकारी से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुग़ल-ए-आज़म के सेट पर बेगम की 200 से ज़्यादा तस्वीरें खिंचवाईं। इनमें वो मशहूर तस्वीर भी शामिल है जिसमें सलीम अनारकली के चेहरे को कोमल परों से सहला रहे हैं।
Begum Ali
Madhubala
लेकिन बेगम अली के नसीब में ये मूवी नहीं लिखी थी. उनके परिवार ने उन्हें परमिशन नहीं दी क्योंकि उस ज़माने में सम्मानित परिवार के लड़कियां फ़िल्मों में काम नहीं किया करती थी।
सोफ़िया नाज़ ने बताया कि उनकी मां ने ये तस्वीरें अपने एलबम में सजों कर रखी थीं. जब मैं बड़ी गई तब उन्होंने मुंबई की अपनी ज़िंदगी के कुछ राज़ मेरे साथ शेयर किए। मुंबई में वह ग्लेमरस ज़िंदगी जीती थीं। वह फिल्मों के प्रीमियर शो में जाया करती थीं जहां बड़े स्टार दिलीप कुमार, मधुबाला और बड़े प्रधानमंत्री जवाहारलाल नेहरु हुआ करते थे।
Begum Ali
Begum Ali with Pt. Nehru
सेफ़िया ने बताया कि उनकी मां का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं था और उनके पति उन पर अत्याचार किया करते थे। एक बार तो वह तंग आकर वापस भोपाल लौट गईं थीं लेकिन पति उन्हें समझा बुझाकर वापस मुंबई ले गए। आख़िरकार उन्होंने पति से किनारा कर लिया लेकिन उनके बच्चे पति ने रख लिए जिनसे मिलने के लिए वह ताउम्र तड़पती रहीं। बाद में वह पाकिस्तान चली गईं जहां उन्होंने दूसरी शादी कर ली. वह अपने बच्चों की तलाश में भारत आती रहीं लेकिन हमेशा उन्हें मायूसी हाथ लगी। बेगम अली का 2012 में पाकिस्तान में निधन हो गया
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