मुंबई: बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा आशा पारेख ने 1960 के दशक में कई बेहतरीन फिल्में देकर दर्शकों के दिलों में अपने लिए खास जगह बनाई है। उन्होंने कई चुनौतुपूर्ण किरदारों को बखूबी पर्दे पर उतारा है। उन्होंने अपने करियर में खूब नाम और इज्जत और पैसा कमाया है। लेकिन उन्होंने जिंदगीभर किसी से शादी नहीं की। आशा पारेख का कहना है कि शोहरत की गलियों में भी इंसान कई बार अकेला पड़ जाता है। अपने जमाने की सर्वश्रेष्ठ अदाकारा का कहना है एक दौर ऐसा भी था जब उन्हें अवसाद का सामना करना पड़ा।
वर्ष 1959 से 1973 तक बॉलीवुड पर राज करने वाली अदाकारा ने शम्मी कपूर, देव आनंद, राजेन्द्र कुमार, राजेश खन्ना जैसे कई बड़े कलाकारों के साथ काम किया है। आशा पारेख ने एक साक्षात्कार में कहा, “मेरे लिए वह एक बेहद बूरा दौर था। मैंने अपने माता-पिता को खो दिया था। मैं बिल्कुल अकेली थी और मुझे सबकुछ खुद ही संभालना पड़ता था। मैं बेहद दुखी महसूस करती थी और कई बार आत्महत्या जैसे ख्याल भी आते थे। फिर मैं उससे बाहर निकली। वह काफी संघर्ष भरा था, मुझे उन सब से निकलने के लिए डॉक्टर की मदद लेनी पड़ी।“
अदाकारा ने कहा कि कई बार अभिनेता लाखों प्रशंसकों का प्यार मिलने के बाद भी अकेले होते हैं। उन्होंने कहा, “वह अकेलापन होता है। शीर्ष स्थान पर आप हमेशा अकेले होते हो। मैं खुशकिस्मत थी कि मेरे प्यारे माता-पिता मेरे साथ थे। मेरे करियर, मेरी जिंदगी में मेरी मां हमेशा मेरा सहारा बनी रही। इसलिए उन्हें खोने के बाद, मैं तनाव का शिकार हो गई थी। यह एक बड़ी राहत की बात है कि वह दौर खत्म हो चुका है।“
आशा पारेख ने बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरूआत 1992 में फिल्म आसमान से की थी। ‘जब प्यार किसी से होता है’, ‘फिर वो ही दिल लाया हूं’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘बहारों के सपने’, ‘प्यार का मौसम’, ‘कटी पतंग’ और ‘कारवां’ जैसी फिल्में उनके करियर की बड़ी हिट फिल्मों में शुमार हैं।
आशा पारेख इन दिनों अपने आत्मकथा ‘द हिट गर्ल’ की रिलीज होने की तैयारियों में जुटी हैं। इसके सह लेखक खालीद मोहम्मद हैं। यह 10 अप्रैल को लॉन्च होगी।
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