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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड पहले प्रतिभा का होना जरूरी था, अब टैलेंट मैनेजमेंट है: अमृता राव

पहले प्रतिभा का होना जरूरी था, अब टैलेंट मैनेजमेंट है: अमृता राव

एक्ट्रेस ने कहा कि सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हस्ती बनने में कोई बुराई नहीं है, बस एक बड़ा बदलाव हुआ है।

amrita rao says earlier it was important to have talent now there is talent management- India TV Hindi Image Source : INSTAGRAM: @AMRITA_RAO_INSTA पहले प्रतिभा का होना जरूरी था, अब टैलेंट मैनेजमेंट है: अमृता राव 

अभिनेत्री अमृता राव का कहना है कि साल 2002 में उनके करियर की शुरुआत से लेकर अब तक तुलना करने पर कलाकारों के लिए विजिविलिटी की अवधारणा ने सोशल मीडिया और टैलेंट मैनेजमेंट फर्मों को बदल दिया है। 

अमृता ने आईएएनएस से कहा, "हम इन दिनों जो सोशल मीडिया और पीआर मशीनरी देख रहे हैं, इस युग से पहले एक कलाकार की लोकप्रियता और सेलिब्रिटी की स्थिति अभिनेता या अभिनेत्री की प्रतिभा की बाइप्रो़डक्ट थी। जब मैंने एक किशोरी के रूप में उद्योग में प्रवेश किया और 'इश्क विश्क', 'मस्ती', और 'मैं हूं ना' जैसी फिल्मों में दिखाई दी तो लोगों ने मेरे प्रदर्शन के कारण मुझे देखा, हालांकि 'मैं हूं ना' जैसी फिल्मों में शाहरूख खान और सुष्मिता सेन जैसे सुपरस्टार हैं। इन दिनों अभिनेता सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति के कारण भी लोकप्रिय हो रहे हैं। मुझे लगता है कि एक अभिनेता के लिए, एक चरित्र और फिल्म के लिए याद किया जाना ज्यादा महत्वपूर्ण है।"

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उन्होंने आगे कहा, "सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हस्ती बनने में कोई बुराई नहीं है, बस एक बड़ा बदलाव हुआ है। मैंने ट्रांजिशन पीरियड के दौरान उद्योग में प्रवेश किया। इससे पहले, प्रतिभा का होना महत्वपूर्ण था और एक कलाकार के रूप में, हम अपने कौशल को बेहतर करते थे। अब टैलेंट मैनेजमेंट जैसी चीजें भी हैं। एक तरह से यह एक अच्छा सांस्कृतिक परिवर्तन है जो कलाकारों को नौकरी के अवसर के साथ अधिक सुरक्षित महसूस कराता है।"

क्या अमृता उस पल को याद कर सकती हैं, जब उन्हें सोशल मीडिया युग से पहले पहचाना था? इस पर उन्होंने कहा, "हां, मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि क्योंकि मेरी भावनाएं मिली जुली थी। जब भी मैं इसे याद करती हूं, यह मेरे चेहरे पर एक मुस्कान लाता है। एक बार हम सभी कार्यक्रम स्थल पर प्रवेश कर रहे थे और फोटोग्राफर वहां मौजूद थे, वह 'मैं हूं ना' की सफलता की पार्टी का अवसर था। वहां कॉलेज के छात्रों का एक समूह खड़ा था, जिन्होंने मुझे देखा और मुझे 'संजना' कहा। मैं बहुत युवा थी, तब मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे प्रतिक्रिया दूं, मैं मुस्कुराई, अपने चेहरे पर हथेली रख ली, क्योंकि मुझे शर्म आ रही थी। मेरे दिमाग में यह घूम रहा था कि 'क्या ऐसा होता है?' इसका मतलब है कि उन्होंने वास्तव में मेरी फिल्म देखी और मुझे पहचाना।"

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