कोरोना वायरस महामारी ने कई लोगों की जान ले ली है। इस महामारी के चलते कई लोग जहां थे वहीं फंसे रह गए हैं। ऐसे में लोगों को सकारात्मक बनाने के लिए अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते रहते हैं। इस बार उन्होंने पिता हरिवंश राय बच्चन की एक कविता शेयर की है जो आज के समय में एक दम फिट बैठती है।
हरिवंश राय बच्चन की इस कविता का नाम अंधेरे का दीपक है। इस कविता का अंग्रेजी ट्रांसलेट उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर भी किया है। कविता में आशा की किरण के बारे में बताया गया है। कि मुश्किल हालातों में भी हमारे पास ये किरण होती है मगर नकारात्मकता में आप कुछ और नहीं देख पाते हैं। कविता के अंत में अमिताभ बच्चन ने लिखा है- मेरे श्रद्धेय बाबूजी के हौसला जगाने वाले काव्यमयी शब्द।
ये रही हरिवंश राय बच्चन की वो कविता- दीवा जलाना कब मना है? कल्पना के हाथ से कम नीय जो मंदिर बना था, भावना के हाथ ने जिनमें वितानों को तना था, स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से संवारा स्वर्ग के दुष्प्राय रंगों से, रसों से जो सना था, ढह गया वह तो जुटाकर ईंट, पत्थर, कंकड़ों को एक अपनी शांति की कुटिया बनाना कब मना है?
वर्कफ्रंट की बात करें तो अमिताभ बच्चन जल्द ही आयुष्मान खुराना के साथ फिल्म गुलाबो-सिताबो में नजर आने वाले हैं। यह फिल्म 12 जून को अमेजन प्राइम पर रिलीज होने वाली है। इसके अलावा वह ब्रह्मास्त्र, झुंड, चेहरे में नजर आने वाले हैं।
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