नई दिल्ली: बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा वहीदा रहमान शुक्रवार को अपना 81वां जन्मदिन मना रही हैं। अपने जमाने की सबसे बेहतरीन अदाकाराओं में से एक कही जाने वालीं वहीदा ने अपने अभिनय से दर्शकों को दीवाना बना दिया। वहीदा अपनी खूबसूरती के साथ-साथ हर तरह के किरदारों को बखूबी पर्दे पर उतारने में माहिर रही हैं। 'चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो, जो भी हो तुम खुदा की कसम लाजवाब हो' मोहम्मद रफी का गया यह गीत वर्ष 1990 की फिल्म 'चौदहवीं का चांद' का है। गुजरे जमाने की अभिनेत्री वहीदा रहमान इसी फिल्म से मशहूर हुई थीं। संयोगवश वहीदा का मतलब भी 'लाजवाब' होता है। अपने करिश्माई अभिनय से 5 दशकों तक दर्शकों के दिल पर राज करने वाली वहीदा सचमुच लाजवाब हैं।
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वहीदा रहमान की खूबसूरती के सभी कायल हैं। उन्होंने अपनी खूबसूरती और बेहतरीन अभिनय से सबको अपना दीवाना बनाया। बचपन से ही नृत्य और संगीत के प्रति दिलचस्पी रखने वाली अदाकारा असल जिंदगी में डॉक्टर बनना चाहती थीं। वह पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री हैं। वहीदा खुशकिस्मत हैं कि नाचने-गाने के उनके शौक को माता-पिता ने सराहा और उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक परंपरागत मुस्लिम परिवार में 3 फरवरी 1938 को जन्मीं वहीदा रहमान की गिनती बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों में की जाती है। यहां तक कि बॉलीवुड के 'शहंशाह' अमिताभ बच्चन उनके सबसे बड़े प्रशंसक हैं। बिग बी कई मौकों पर उनकी तारीफ कर चुके हैं। वहीदा वैसे तो बचपन में डॉक्टर बनना चाहती थीं, लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। उन्होंने डॉक्टरी की पढ़ाई शुरू भी की, लेकिन फेफड़ों में इन्फेक्शन की वजह से वह ये कोर्स पूरा नहीं कर सकीं।
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