त्रिपुरा के लोगों ने ‘माणिक’ उतारकर धारण किया ‘हीरा’
2013 में भाजपा 50 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन खाता खोलना तो दूर 49 सीटों पर पार्टी की ज़मानत जब्त हो गई थी। भाजपा को सिर्फ डेढ़ फीसदी वोट मिले। वहीं 5 साल बाद ये तस्वीर पूरी तरह बदल गई।
नई दिल्ली: नॉर्थ ईस्ट में मोदी मैजिक चल गया है। ये मोदी का ही करिश्मा है कि त्रिपुरा लेफ्ट से राइट की ओर शिफ्ट हो गया और भाजपा शून्य से शिखर तक पहुंच गई। त्रिपुरा में भाजपा ने ना केवल 25 साल के माणिक सरकार के लाल किले को ध्वस्त कर दिया है बल्कि यहां अपने बलबूते पर सरकार बनाने जा रही है। भाजपा ने माणिक सरकार की जड़ें कैसे हिलाकर रख दी इसका अंदाज़ा आपको पार्टी के 5 साल पहले के प्रदर्शन को देखकर हो जाएगा। 2013 में भाजपा 50 सीटों पर चुनाव लड़ी थी लेकिन खाता खोलना तो दूर 49 सीटों पर पार्टी की ज़मानत जब्त हो गई थी। भाजपा को सिर्फ डेढ़ फीसदी वोट मिले। वहीं 5 साल बाद ये तस्वीर पूरी तरह बदल गई। आज जो नतीजे आए हैं उसके मुताबिक भाजपा को 50 फीसदी वोट मिले हैं और पार्टी यहां अपने बूते सरकार बनाएगी।
यहां सीपीएम को वोट शेयर का नुकसान झेलना पड़ रहा है। 48 फीसदी से वोट शेयर कम होकर 44 फीसदी तक पहुंच गया है। सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो रहा है। 2013 में 36.53 फीसदी वोट पाने वाले कांग्रेस को इस बार 2 फीसदी से भी कम वोट मिले हैं। इस नतीजे के बाद अब देश में केवल केरल में वामपंथी दलों की सरकार रह गई है। वहीं त्रिपुरा में मिली ऐतिहासिक जीत का जश्न भाजपा के कार्यकर्ता मना रहे हैं।
इस जीत के जीत के सबसे बड़े हीरो हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिनका जादू आज पूर्वोत्तर के सिर चढ़कर बोल रहा है। प्रधानमंत्री ने त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में धुआंधार प्रचार किया। दूसरे हीरो रहे अमित शाह जिनकी रणनीति ने भाजपा को शून्य से शिखर तक पहुंचाया। तीसरे हीरो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी रहे जिन्होंने 7 सीटों पर रैलियां की जिनमे से 5 पर भाजपा ने जीत हासिल की।
चौथे हीरो हैं राम माधव जो पूर्वोत्तर के प्रभारी थे, उनकी रणनीति और मेहनत ने पूरे पूर्वोत्तर की तस्वीर बदल दी। पांचवें हीरो हैं विप्लव देव जो त्रिपुरा के भाजपा अध्यक्ष हैं और सीएम की रेस में सबसे आगे हैं। छठे हीरो हैं सुनील देवधर जिनकी चाणक्य नीति ने भाजपा अर्श से फर्श पर पहुंचाया और आखिरी हीरो हैं हेमत विश्वसरमा जो गोगोई से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए थे और अब पार्टी की जीत में साझीदार बने हैं।
यह भारत के 65 साल के चुनावी इतिहास में पहली बार हो रहा है कि माकपानीत वाम दलों और भाजपा की सीधी टक्कर राज्य स्तर पर हो रही है। राज्य में माकपा ने 56 सीट पर प्रत्याशी उतारे हैं। पार्टी ने एक-एक सीट मोर्चे के घटक दलों भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फारवर्ड ब्लॉक और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के लिए छोड़ी है। भाजपा 50 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसने नौ सीट अपने सहयोगी इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा के लिए छोड़ी है। कांग्रेस ने सभी 59 सीटों पर उम्मीदवार उतारे लेकिन काकराबन-शालग्रहा से पार्टी के उम्मीदवार सुकुमार चंद्र दास ने अपना नामांकन वापस ले लिया और भाजपा में शामिल हो गए।