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त्रिपुरा में BJP से मिली करारी हार के बाद अब लेफ्ट उठाएगा यह बड़ा सियासी कदम!

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में CPM को मिली भारी शिकस्त ने उसे अपनी रणनीतियों पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है और पार्टी के अंदर भी कांग्रेस के साथ ‘तालमेल’ बैठाने की जोर-शोर से मांग उठ रही है...

Manik Sarkar | PTI File Photo- India TV Hindi Manik Sarkar | PTI File Photo

कोलकाता: त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (CPM) को मिली भारी शिकस्त ने उसे अपनी रणनीतियों पर फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है और पार्टी के अंदर भी कांग्रेस के साथ ‘तालमेल’ बैठाने की जोर-शोर से मांग उठ रही है। अगले महीने पार्टी की अहम बैठक होने वाली है। पार्टी नेताओं ने कहा कि त्रिपुरा में मिली भारी शिकस्त के बाद CPM का अस्तित्व बनाये रखने के लिए ‘सही रणनीति’ अपनाने को लेकर पार्टी के अंदर कई सवाल उठ रहे हैं।

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में शनिवार को BJP-IPFT ने मिलकर इतिहास रचते हुए दो-तिहाई बहुमत से जीत दर्ज की। इस जीत से राज्य में CPM के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के 25 साल के निर्बाध शासन का खात्मा हो गया। CPM पोलित ब्यूरो के सदस्य हन्नन मोल्लाह ने बताया कि त्रिपुरा में हार के बाद पार्टी सबसे मुश्किल दौर का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ‘इस हार ने हमें नए तरीके से फिर से सोचने पर मजबूर किया है। हमने अपने मसौदा प्रस्ताव में कहा है कि हम कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं चाहते, पर त्रिपुरा में हार के बाद अब बिल्कुल नई परिस्थिति सामने आ गई है। हमें अपनी रणनीतियों एवं राजनीतिक धारा पर फिर से विचार करना होगा।’

बहरहाल 21 जनवरी को CPM केंद्रीय समिति ने पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी द्वारा प्रस्तावित कांग्रेस के साथ गठबंधन संबंधी प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया था। पार्टी ने एक नया मसौदा प्रस्ताव मजूर किया जिसे अगले माह पार्टी की कांग्रेस के समक्ष रखा जाएगा। इसमें कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इंकार किया गया है। CPM पोलित ब्यूरो के एक अन्य सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा कि पार्टी त्रिपुरा में मिली हार सहित तमाम पहलुओं पर चर्चा करेगी।

बहरहाल केंद्रीय समिति के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया कि मौजूदा हालात में ऐसी ‘संभावनाएं अधिक’ हैं, जिनमें कांग्रेस के साथ तालमेल के रास्ते खुले हों। उन्होंने कहा ‘कांग्रेस के साथ तालमेल के लिए बीच का रास्ता चुनना होगा। हम BJP को वाम धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक बलों के बीच विभाजन का लाभ लेने नहीं दे सकते।’