नई दिल्ली: त्रिपुरा में रविवार को हुए विधानसभा चुनाव में 76 पर्सेंट मतदाताओं ने अपने वोट डाले। यह मत प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 15 पर्सेंट कम है जब राज्य के 91.82 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। यह विधानसभा चुनाव लेफ्ट पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है जो 25 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज है। वहीं, पिछले चुनावों में एक भी सीट न जीत पाने वाली भारतीय जनता पार्टी भी पूरे दमखम के साथ मैदान में है और चुनाव में जीत का दावा कर रही है।
रविवार को विधानसभा की कुल 60 सीटों में से 59 सीटों पर मतदान हुआ। चारिलाम विधानसभा क्षेत्र में पिछले हफ्ते मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी के उम्मीदवार रामेंद्र नारायण देब वर्मा की मौत हो जाने के कारण रविवार को मतदान नहीं हो पाया। इस निर्वाचन क्षेत्र में 12 मार्च को वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार राज्य में 76 पर्सेंट वोटरों ने वोट डाला। भारतीय जनता पार्टी इस पूर्वोत्तर राज्य में वाम शासन का 25 साल पुराना गढ़ ढाहने की जी-तोड़ कोशिश में जुटी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह जैसे पार्टी के दिग्गज खुद ही इस अभियान के अगुवा हैं।
बीजेपी ने 51 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं। उसने इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) से चुनावपूर्व गठबंधन किया था। बाकी 9 सीटों पर वामविरोधी IPFT ने अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं। राज्य में 25,73,413 पंजीकृत मतदाता हैं जिनमें 12,68,027 महिलाएं हैं। गौरतलब है कि यदि त्रिपुरा भी लेफ्ट के हाथ से निकल जाता है तो सिर्फ केरल में उसकी सरकार रहेगी।