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संघ के इन तीन प्रचारकों ने खिलाया नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी का कमल

कभी सिर्फ हिन्दी पट्टी की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी इस समय नॉर्थ-ईस्ट की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है।

बीजेपी महासचिव राम...- India TV Hindi Image Source : PTI बीजेपी महासचिव राम माधव।

भारतीय जनता पार्टी इस समय अपने स्वर्णिम दौर से गुजर रही है। किसी समय में सिर्फ हिन्दी पट्टी और कॉउ बेल्ट की पार्टी कही जाने वाली पार्टी बीजेपी आज देश में चारों तरफ अपने पैर जमा चुकी है। पिछले करीब चार साल में बीजेपी नॉर्थ-ईस्ट में तेजी से बढ़ी है। 2019 आम चुनाव में उत्तर भारत और मध्य भारत में होने वाले सीटों के नुकसान को पार्टी उन राज्यों में जीती गई सीटों से भरना चाहती है जहां अब तक उसकी उपस्थिति ना के बराबर रही है। नॉर्थ ईस्ट में करीब 25 लोकसभा की सीटें आती हैं जिसको देखते हुए पार्टी ने नॉर्थ-ईस्ट में पिछले कुछ समय में बहुत ज्यादा ध्यान दिया है। जहां एक तरफ बीजेपी असम में अकेले अपने दम पर सत्ता में है तो वहीं मणिपुर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, और नगालैंड में अपने सहयोगियों के साथ सत्ता में है। अब इन राज्यों में त्रिपुरा का नाम और जुड़ने जा रहा है। बीजेपी की ये सफलता कुछ महीनो और सालों का कमाल नहीं है। संघ की दशकों की मेहनत इसके पीछ है। नॉर्थ ईस्ट में बढ़ते बीजेपी के ग्राफ के पीछ संघ के इन तीन प्रचारकों का कमाल साफ तौर पर देखा जा सकता है।

सुनील देवधर    

सुनील देवधर महाराष्ट्र से आते हैं। संघ ने तीन साल पहले सुनील देवधर त्रिपुरा बीजेपी का प्रभारी बनाकर त्रिपुरा भेजा था। तीन साल में सुनील देवधर ने वो कर दिखाया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। साल 2013 के विधानसभा चुनाव में लेफ्ट गठबंधन को 52 प्रतिशत वोट मिला था वहीं कांग्रेस को 45 प्रतिशत बीजेपी उस चुनाव में सिर्फ 1.5 प्रतिशत पर सिमट गई थी। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 50 उम्मीदवार खड़े किए थे जिसमें से 49 की जमानत जब्त हो गईं थी। सुनील देवधर की कमाल की चुनावी नीति की ही बदौलत सिर्फ तीन सालों में बीजेपी 1.5 प्रतिशत से उठकर 50 प्रतिशत वोट पाने में सफल रही। तो वहीं पार्टी करीब 40 सीटों पर जीतती नजर आ रही है। सुनील देवधर की मेहनत की चलते ही लेफ्ट की 25 साल पुरानी सरकार उखाड़ने में बीजेपी सफल रही है। 

राम माधव 

लंबे समय तक मीडिया में संघ का पक्ष  रखते आए राम माधव को जब बीजेपी महासचिव बनाया गया तो किसी को अंदाजा नहीं था कि पार्टी उन्हें क्या जिम्मेदारी देगी। संघ से बीजेपी में आए राम माधव को नॉर्थ-ईस्ट की कमान देकर असम चुनाव से पहले भेजा गया। राम माधव की अगुआई में ही बीजेपी ने ना सिर्फ असम में जीत दर्ज की बल्कि पार्टी एक नॉर्थ ईस्ट में प्रभावशाली गठबंधन बनाने में भी सफल रही। राम माधव की योजना के तहत ही पार्टी ने नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस बनाया है जिसमें उत्तर पूर्व की कई छोटी बड़ी पार्टियां शामिल हैं। इसी एलाएंस के दम पर ही पार्टी चुनाव पूर्व और परिणाम  बाद के भी जिताऊ गठबंधन बना पा रही है।

नरेंद्र मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी की पहचान अब चाहे खांटी राजनेता के तौर पर हो लेकिन भेजे तो वो भी संघ से ही बीजेपी में गए हैं। पीएम मोदी की लोकप्रियता और उनकी नेतृत्व के बिना बीजेपी को ये जीत मिलना संभव ही नहीं है। पीएम मोदी ने त्रिपुरा में चार रैलियां की इसके साथ ही नगालैंड और मेघालय में भी वो चुनावी रैली कर चुके हैं। नॉर्थ में ट्रेन चलाने से लेकर दो पूर्वोत्तर राज्यों असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले देश के सबसे लंबे पुल हजारिका पुल का उद्घाटन हो पीएम मोदी हमेशा नॉर्थ ईस्ट को महत्व देते नजर आए हैं। साथ ही पीएम अपनी उपस्थिति समय समय पर वहां दर्ज कराते रहे। जिसके चलते आज नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी सबसे बड़ा दल बन चुकी है।