नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के कई दिग्गज नेताओं को भाजपा विधानसभा के चुनावी मैदान में उतारेगी, पार्टी के इस फैसले की जानकारी सामने आते ही योगी की विधानसभा सीट को लेकर चर्चा शुरू हो गई। योगी 2017 में मुख्यमंत्री बनने से पहले लगातार 5 बार गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीत चुके थे लेकिन उन्होंने इससे पहले कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। इसके बाद पार्टी की तरफ से इस तरह की खबरें सामने आने लगी की भाजपा के नेता यह चाहते हैं कि योगी आदित्यनाथ अपना पहला विधानसभा चुनाव अयोध्या से लड़ें।
हालांकि इस बीच बार-बार यह खबर भी निकल कर सामने आती रही कि पार्टी तो योगी को अयोध्या से लड़वाना चाहती है लेकिन योगी स्वयं गोरखपुर से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं। लेकिन इसके बावजूद यह कहा जाता रहा कि योगी के अयोध्या से लड़ने से उसी तरह का माहौल बनेगा जैसा कि 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के वाराणसी संसदीय सीट से लड़ने से बना था। यह भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे के भी अनुकूल था लेकिन शनिवार को सामने आई भाजपा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट ने सबको चौंका दिया। अनुमान के मुताबिक भाजपा ने पहले और दूसरे चरण के उम्मीदवारों के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उम्मीदवारी की घोषणा भी की। मौर्य को तो सिराथू से ही उम्मीदवार बनाया गया लेकिन योगी आदित्यनाथ को अयोध्या से नहीं बल्कि गोरखपुर शहर से चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान किया गया।
शनिवार को भाजपा की पहली लिस्ट जारी करने के लिए पार्टी मुख्यालय पहुंचे केंद्रीय मंत्री एवं उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान को भी इस बात का अंदाजा बखूबी था कि जैसे ही वो योगी के अयोध्या की बजाय गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ने का ऐलान करेंगे, वैसे ही मीडिया की तरफ से सवाल भी पूछे जाएंगे। इसलिए योगी आदित्यनाथ के विधानसभा सीट का ऐलान करने से पहले ही धर्मेंद्र प्रधान ने स्वयं इसका कारण बताते हुए दावा किया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में भाजपा संसदीय बोर्ड ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर से और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू से विधानसभा चुनाव लड़वाने का फैसला किया है।
लेकिन प्रधान के जवाब से अंसतुष्ट मीडिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के अंत में एक बार फिर से उनसे सवाल पूछा कि क्या पार्टी योगी को अयोध्या से चुनाव लड़ाना चाहती थी जबकि योगी स्वयं गोरखपुर से ही चुनाव लड़ना चाहते थे? सवाल बिल्कुल सटीक था इसलिए इस बार भाजपा चुनाव प्रभारी ने स्पष्ट जवाब देने की कोशिश करते हुए दावा किया कि उन्होने स्वयं मुख्यमंत्री से बात की थी और बातचीत में उन्होंने किसी खास सीट को लेकर कोई इच्छा नहीं जताई थी। प्रधान ने यह भी दावा किया कि सीट चयन का मसला मुख्यमंत्री ने पार्टी पर छोड़ते हुए यह कहा था कि प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से पार्टी जहां से भी कहेगी, वो चुनाव लड़ने को तैयार है। प्रधान ने पुरजोर शब्दों में दावा किया कि योगी को गोरखपुर शहर से उम्मीदवार बनाने का फैसला पार्टी ने ही किया है जिसे मुख्यमंत्री ने सहर्ष स्वीकार किया है।
उम्मीदवारी के ऐलान के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री और पार्टी आलाकमान के प्रति आभार जताते हुए ट्वीट कर कहा, आगामी विधानसभा चुनाव में मुझे गोरखपुर (शहर) से भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी बनाने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जी एवं संसदीय बोर्ड का हार्दिक आभार।
वैसे आपको बता दें कि, 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर शहर से भाजपा उम्मीदवार राधा मोहन दास अग्रवाल ने 60,730 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की थी वहीं अयोध्या विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार वेद प्रकाश गुप्ता ने सपा उम्मीदवार को 50,440 वोटों से हराया था।
(इनपुट- एजेंसी)