नयी दिल्ली: राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की प्रचंड जीत का मुख्य कारण स्थापित राजनीतिक दलों के प्रति मोहभंग, लोकलुभावन वादे और नेतृत्व की स्पष्टता रहा। हालांकि, आप को उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में उतना लाभ नहीं मिला क्योंकि वहां के मौजूदा दलों के खिलाफ असंतोष उतना अधिक नहीं था। हालिया नतीजों में पंजाब की 117 विधानसभा सीट में से आप को 92 पर जीत मिली है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी शिरोमणि अकाली दल के कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और अमरिंदर सिंह के अलावा शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल और कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। हालांकि, आप दिल्ली और पंजाब जैसा प्रदर्शन अन्य राज्यों में नहीं दिखा सकी है। हालिया नतीजों में आप को उत्तराखंड में एक भी सीट पर जीत नहीं मिली और गोवा में दो सीट पर संतोष करना पड़ा।
'सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज', दिल्ली के संजय कुमार ने कहा कि आप के शानदार प्रदर्शन में कई कारकों का योगदान रहा। उन्होंने कहा कि पंजाब में आप को मिले मतों का प्रतिशत दर्शाता है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस और शिअद से जनता का मोहभंग हुआ है। कुमार ने कहा कि लोकलुभावन वादे और नेतृत्व जैसे कारक भी प्रमुख कारक थे जिनके कारण पंजाब में आप की जीत हुई।
आप ने दिल्ली की तर्ज पर 300 यूनिट मुफ्त बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य ढांचे में सुधार का वादा किया है। नेतृत्व के मोर्चे पर पार्टी ने आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पार्टी के नेता के रूप में पेश किया जबकि भगवंत मान को पंजाब के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया। राजनीतिक विश्लेषक सुहास पलशिकर ने कहा कि पंजाब में आप की जीत के पीछे केवल नेतृत्व या लोकलुभावन वादे प्राथमिक कारक नहीं रहे।
उन्होंने कहा, ''आप की उपलब्धि के पीछे मौजूदा सत्तारूढ़ दलों के प्रति मोहभंग प्रमुख कारण रहा।'' पलशिकर ने कहा कि 2022 पंजाब में सत्ता हासिल करने का आप का दूसरा प्रयास है। पुणे के सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के पूर्व प्रोफेसर पलशिकर ने कहा कि दिल्ली में लोगों का एक बड़ा वर्ग है जिनका पंजाब से संबंध है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में बड़ी संख्या में रहने वाली सिख आबादी भी पंजाब से आती है, ऐसे में दिल्ली और पंजाब में जो कुछ भी होता है, उसमें एक स्वाभाविक जुड़ाव है।