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Hindi News लोकसभा चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav 2022: छोटे दलों का साथ, क्या अखिलेश को दिला पाएगा ताज?

Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav 2022: छोटे दलों का साथ, क्या अखिलेश को दिला पाएगा ताज?

बता दें कि 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव में जो रणनीति समावादी पार्टी ने बनाई उससे भारी नुकासन उठाना पड़ा। पुरानी गलतियों से सीखतो हुए अखिलेश ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी नजर छोटे दलों पर ही बनी हुई है।

Uttar Pradesh Vidhan Sabha Chunav 2022: Will alliance with small parties bring Akhilesh Yadav to pow- India TV Hindi Image Source : PTI उत्तर प्रदेश विधानचुनाव के लिए अखिलेश यादव एक गुलदस्ता बना रहें हैं।

Highlights

  • 403 विधानसभा सीटों वाली यूपी में अखिलेश अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटे हुए हैं।
  • अखिलेश ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी नजर छोटे दलों पर ही बनी हुई है।
  • छोटे-छोटे राजनीतिक दलों का अपने क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रहा है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव एक गुलदस्ता बना रहें हैं, जिसमें अलग-अलग राजनीतिक दलों के रंग को जोड़कर सत्ता की कुर्सी को दोबारे पाने की जुगत में हैं। 403 विधानसभा सीटों वाली यूपी में अखिलेश अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटे हुए हैं। समाजवादी पार्टी इस चुनाव में अपने साथ आरएलडी, महान दल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी, अपना दल (के), प्रगतीशील पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मैदान में उतरेगी। इसके अलावा भी कई राजनीतिक दलों के साथ भी बातचीत का दौर चल रहा है जिसमें आम आदमी पार्टी और भीम आर्मी शामिल है।

बता दें कि 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव में जो रणनीति समावादी पार्टी ने बनाई उससे भारी नुकासन उठाना पड़ा। पुरानी गलतियों से सीखतो हुए अखिलेश ने पहले ही साफ कर दिया था कि उनकी नजर छोटे दलों पर ही बनी हुई है। यही वजह है कि ज्यादा से ज्यादा दलों को अपने साथ जोड़कर अखिलेश योगी की वापसी की राह को मुश्किल बनाने की कोशिश मे जुटे हुए है। अपनी इस बदली रणनीति के तहत अखिलेश बड़े दलों की बजाए छोटे दलों के साथ ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहें हैं।  

राजनीतिक पंडितों की माने तो अखिलेश की कोशिश वोट बटवांरे को रोकना और उसे अपनी झोली में लाना बना हुआ है। ये बात किसी से छुपी नही है कि छोटे-छोटे राजनीतिक दलों का अपने क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रहा है। वहीं किसान आंदोलन और कई घटनाक्रमों ने उन दलों को अपने क्षेत्रों में पहले के मुकाबले मजबूत किया है।  हालांकि ये आने वाला वक्त ही बताएगा कि छोटे दलों का साथ पाकर समाजवादी पार्टी की नैया पार लगती है या नहीं?