लखनऊ: किसी भी राज्य के विकास के लिए सड़क और हाईवे बेहद जरूरी होता है। उत्तर प्रदेश की सियासत में कुछ सालों में हाईवे निर्माण बहुत तेज़ी से हुए हैं। 2007 की बात करें तो उस वक़्त की मुख्यमंत्री मायावती ने नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे का निर्माण करवाया और यमुना एक्सप्रेस वे के निर्माण की नींव रखी जिसका सबसे ज़्यादा फायदा पश्चिम यूपी को मिलाना था। हालांकि मायावती का हाथी कंक्रीट के उस रास्ते पर चंद कदम भी नहीं चल सका और मायावती को सत्ता से बेदखल कर दिया।
2012 के चुनाव आते-आते समाजवाद की साईकल पर सवार अखिलेश यादव ने मायावती के हाथी को पटकनी देते हुए उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए। अखिलेश ने भी अपने शासन काल में यमुना एक्सप्रेसवे का अधूरा काम पूरा करवाया। मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश ने आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे का भी निर्माण करवाया जिसपर अखिलेश की समाजवाद की साईकल ने खूब रफ्तार पकड़ी और अखिलेश ने चुनावी नारा दिया "काम बोलता है"। अखिलेश ने अपनी सभी चुनावी सभाओं में उनके द्वारा बनाए गए हाईवे निर्माण को विकास का मुद्दा बनाया।
अखिलेश यादव को भी इस बात पर पूरा यक़ीन था कि हाईवे के विकास के सहारे वो अपनी चुनावी साईकल की रफ्तार और बढ़ा लेंगे और सत्ता में वापसी करेंगे, लेकिन अखिलेश की साईकल की रफ्तार उसी हाईवे पर मोदी के विकास मॉडल के सामने पंचर हो गई और अखिलेश को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। 2017 के चुनाव में मोदी के विकास मॉडल की ऐसी आंधी चली की न तो अखिलेश की साईकल हीं चल पाई और न मायावती का हाथी चिंघाड़ पाया। दोनों ही दलों को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी ने रिकॉर्ड 312 सीटों पर जीत दर्ज कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई।
उत्तर प्रदेश में जल्द चुनाव होने वाले हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में भी प्रदेश में कई राष्ट्रीय और अंतरराज्यीय हाईवे का निर्माण हुआ है। बात चाहे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की करें जिसका हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा उद्घाटन किया गया। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे 341 किलोमीटर लंबा है तो वहीं दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे जिससे दिल्ली से मेरठ की दूरी मात्र 45 मिनट में पूरी की जा सकती है। गौरतलब है कि पहले दिल्ली से मेरठ जाने में 2 से 3 घंटे का समय लग जाता था।
चुनाव की तारीख के ऐलान से ठीक पहले योगी सरकार ने देश के सबसे बड़े एक्सप्रेस वे गंगा एक्सप्रेसे वे की नींव रखी है। बाद दें कि गंगा एक्सप्रेस वे देश का सबसे बड़ा एक्सप्रेस वे बनने जा रहा है जिसकी कुल लंबाई 594 किलोमीटर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ का मानना है कि इस एक्सप्रेसे वे के बनने से प्रदेश में विकास की रफ्तार ओर तेज़ होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन हाईवे के ज़रिए जिस विकास गाथा पर सवार होकर अपना चुनावी रथ आगे बढ़ा रहे हैं क्या उसके ज़रिए 2022 में चुनावी रथ पर सवार होकर सत्ता पर दुबारा काबिज़ हो पाएंगे, यह बहुत बड़ा सवाल है।
चूंकि पिछले 2 बार के चुनाव में देखने मे आया है कि जिस तरह मायावती का हाथी हाईवे विकास की राजनीति पर धराशाही हो गया था और अखिलेश की चुनावी साईकल बुरी तरह पंचर हो गई थी क्या उसी तरह योगी ओर मोदी का चुनावी रथ रुक जाएगा या मोदी और योगी की जोड़ी इस मिथक को तोड़ने में कामियाब हो पाएंगे कि हाईवे के ज़रिए ही राज्य के विकास को रफ्तार दी जा सकती है, यह आने वाला वक्त बताएगा।