नई दिल्ली। बहुत ही प्रचलित कहावत है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर निकलता है। अब जब पांच राज्यों के चुनावी महासमर में चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत से बनती हुई दिख रही है तो इस जीत के क्या मायने है? क्या यह इस बात की गवाही दे रहा है कि देश की राजनीति बदल गई है। जनता अब जात-पात और मुफ्त के वादों से नहीं रिझती है। देश के दो राज्यों बिहार अब उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम तो यही इशारा कर रहे हैं। बिहार के बाद अब उत्तर प्रदेश में देंखे तो यहां भी समाजवादी पार्टी का ठीक वैसा ही हस्र हुआ है जैसा आरजेडी का हुआ था। अखिलेश यादव ने भी बेरोजगारों को रोजगार देने समेत युवाओं को मुफ्त लैपटॉप, किसानों को मुफ्त बिजली समेत कई वादों की झरी लगी दी थी। जातीय समीकरण (मुस्लिम-यादव) साधने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी लेकिन नतीजा सिफर रहा। जनता ने अपना आशिर्वाद नहीं दिया। वहीं, एंटी इनकंबेंसी के बावजूद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी एक बार फिर पूर्ण बहुत से सरकार बनाने में सफल हुई है।
जात-पात नहीं राशन-प्रशासन बनी पहली पसंद
पांच राज्यों में जरूर चुनाव हो रहे थे लेकिन पूरे देश की नजर उत्तर प्रदेश पर थी। वजह जिस पार्टी की यहां सत्ता उसके लिए दिल्ली दूर नहीं है। खैर, अब जब चुनाव परिणाम आ गए हैं तो यह साफ हो गया है कि जनता को अब जात-पात की आर में बरगलाया नहीं जा सकता है। एक और बात कि मुस्लिम वोट बैंक ही जीत की गारंटी नहीं है। जनता के लिए सुरक्षा सर्वोपरि है। इसके साथ अगर उसे राशन मिल जाए तो सोने पे सुहागा। यही बात इस बार बीजेपी को फिर से सत्ता में लेकर आई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, योगी आदित्यानाथ समेत बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व जनता को यह समझाने में सफल रही है कि सपा के आने से राज्या में फिर से गुंडागर्दी बढ़ेगी। ऐसे में कोरोना के बीच भयंकर बेरोजगारी से जूझ रही जनता ने बीजेपी को साथ देना ही सही समझा। चुनाव के बीच में मैंने जमीनी हालत जानने के लिए सैंकड़ों लोगों से बात की और पाया कि उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ से अधिक राशन कार्ड धारकों को मुफ्त राशन की डबल डोज ने जनमानस पर बड़ा असर डाला है। इसका भी फायदा बीजेपी को हुआ है। बीजेपी एक बार फिर से पूर्ण बहुमत में है और योगी सर्वमान्य नेता।
देश की राजनीतिक तस्वीर पर दूरगामी असर होगा
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम में बीजेपी की जोरदार वापसी का असर देश की राजनीतिक फलक पर भी दिखाई देगा। चुनाव ने साबित कर दिया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय राजनेता बने हुए हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी 2024 में भी बनी रहेगी। वहीं, समूचे विपक्ष और खास कर कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाने की चुनौती अब और ज्यादा होगी। बिहार के बाद जिस तरह से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हार हुई है, वैसे में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर सवाल खड़े होंगे। वहीं, बीजेपी के सहयोगी दल जो इन दिनों पार्टी को लेकर मुखर हो रहे थे वो नरम पड़ेंगे। कुल मिलाकर यह चुनाव बीजेपी के लिए 2024 से पहले संजीवनी लेकर आई है। पंजाब में लैंडस्लाइड विक्ट्री के बाद अरविंद केजरीवाल का कद बहुत बड़ा हो गया है। इसके साथ ही उनका दखल देश की राजनीति में देखने को मिलेगा। आने वाले समय में उनके लिए बड़ा मैदान बिहार जैसा राज्य हो सकता है जहां जनता मौजूदा सभी पार्टियों से परेशान है।