मिर्जापुर के विंध्य पर्वत पर अपने पूरे शरीर में विराजमान आदि शक्ति विंध्यवासिनी देवी की बड़ी महीमा है। उनकी पूजा महिषासुर मर्दिनी के रूप में होती है। कहते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम ने भी यहां पूजा की थी। मिर्जापुर में सीता कुंड, सीता रसोई और राम घाट भी है। वाराणसी से करीब 70 किलोमीटर दूर मिर्जापुर में हर दिन हजारों श्रद्धालु विंध्यवासिनी माता के दर्शन को आते हैं। नवरात्री में तो यहां मेला लगा रहता है। माता विंध्यवासिनी का धाम मणिद्वीप के नाम से भी विख्यात है। यहां आदि शक्ति माता विंध्यवासिनी अपने पूरे शरीर के साथ विराजमान हैं। इंडिया टीवी (India TV)' का खास कार्यक्रम 'ये पब्लिक है सब जानती है (Ye Public Hai Sab Jaanti Hai)' की टीम मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने और महिमा को विस्तार से जानने मिर्जापुर गई थी। मंदिर के पुजारी ने मां की उत्पति के बारे में विस्तार से बताया। मां की महिमा को आप भी सुनिए।
सबसे पहले मनू ने की थी मां की पूजा
श्रीमद्देवीभागवत के दशम स्कन्ध में कथा आती है- सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी ने जब सबसे पहले अपने मन से स्वायम्भुवमनु और शतरूपा को उत्पन्न किया तब विवाह करने के उपरान्त स्वायम्भुव मनु ने अपने हाथों से देवी की मूर्ति बनाकर सौ वर्षों तक कठोर तप किया। उनकी तपस्या से संतुष्ट होकर भगवती ने उन्हें निष्कण्टक राज्य, वंश-वृद्धि एवं परम पद पाने का आशीर्वाद दिया। वर देने के बाद महादेवी विंध्याचल पर्वत चली गईं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सृष्टि के प्रारंभ से ही विंध्यवासिनी की पूजा होती रही है। सृष्टि का विस्तार उनके ही शुभाशीष से हुआ है।
काशी की तरह मां का मंदिर भव्य बनेगा
खबर है कि विश्वनाथ कॉरिडोर की तरह ही मिर्जापुर में विंध्याचल कॉरिडोर बनेगा। हर दिन हज़ारों लोग मां का दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि वाराणसी में विश्वनाथ जी की पूजा के बाद मिर्जापुर में भगवती की पूजा किए बिना तीर्थ यात्रा अधूरी रहती है। सरकार का इरादा है कि मंदिर ऐसा हो कि लोग बस एकटक देखते रह जाएं।