नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के लिए बुधवार को 9 जिलों की 59 सीटों पर मतदान होना है। इन 59 सीटों पर मोदी और योगी सरकार के कई मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। 23 फरवरी को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, रायबरेली, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, फतेहपुर, बांदा और उन्नाव की 59 सीटों पर सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हो जाएगा। इस चरण में मोदी सरकार के मंत्री अजय मिश्रा टेनी और कौशल किशोर के साथ-साथ योगी सरकार के कई मंत्रियों और भाजपा के दिग्गज नेताओं की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अजय मिश्रा टेनी और कौशल किशोर के संसदीय क्षेत्रों में आने वाली विधानसभाओं में बुधवार को मतदान होना है।
योगी सरकार के मंत्रियों की बात करें तो उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री और भाजपा के बड़े ब्राह्मण नेताओं में गिने जाने वाले ब्रजेश पाठक लखनऊ कैंट विधानसभा से चुनाव लड़ रहे हैं। पाठक पिछली बार लखनऊ मध्य से चुनाव जीते थे लेकिन भाजपा ने इस बार उनकी सीट बदल दी है। 1991 से भाजपा की सबसे मजबूत सीट माने जाने वाले लखनऊ पूर्व विधानसभा सीट से योगी सरकार के वरिष्ठ मंत्री आशुतोष टंडन एक बार फिर से चुनाव लड़ रहे हैं।
फतेहपुर जिले की हुसैनगंज विधानसभा सीट पर योगी के एक और मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी भैया और इसी जिले की बिंदकी विधानसभा सीट पर दूसरे मंत्री जय कुमार सिंह जैकी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। जैकी भाजपा के सहयोगी दल अपना दल ( एस ) के नेता है और पिछली बार फतेहपुर की जहानाबाद विधानसभा से चुनाव जीते थे लेकिन इस बार वो अपना दल ( एस ) के टिकट पर ही बिंदकी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
सरोजनी नगर सीट से भाजपा ने प्रदेश सरकार के मंत्री स्वाति सिंह का टिकट काटकर ईडी के पूर्व अधिकारी राजेश्वर सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली की सदर विधानसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस की ही विधायक रही अदिति सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। हरदोई सदर विधानसभा सीट से भाजपा ने सपा के विधायक और उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके नितिन अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है। नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल तीन बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और चौथी बार चुनावी मैदान में खड़े हैं। इन दिग्गजों के अलावा ऊंचाहार विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है।
2017 के विधानसभा चुनाव में इन 59 सीटों में से 51 सीट पर भाजपा और एक सीट पर उसकी सहयोगी अपना दल (एस) ने जीत हासिल की थी। भाजपा के लिए इस प्रदर्शन को दोहरा पाना एक बड़ी चुनौती है।
(इनपुट- एजेंसी)