लखनऊ (उप्र): शिवसेना के सांसद संजय राउत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों के वीआरएस लेकर राजनीतिक दलों में शामिल होने को लेकर इन एजेंसियों की विश्वसनीयता पर शनिवार को सवाल उठाये, साथ ही यह भी कहा कि उनकी पार्टी 2024 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में 15 से 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी 50 से 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। बीस उम्मीदवारों की एक सूची उसने पहले ही जारी कर दी है।
राउत ने यहां पत्रकारों से बातचीत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया कि भाजपा अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर छापे मारने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती है और फिर इन अधिकारियों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट देती है। उनका इशारा राजेश्वर सिंह की ओर था, जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय में संयुक्त निदेशक पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली है और उन्हें भाजपा ने लखनऊ में सरोजनी नगर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है।
राउत ने कहा, "कोई ऐसी एजेंसी पर कैसे भरोसा कर सकता है, जिसका अधिकारी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ता है। ईडी की टीम महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं के घर पहुंच रही है। हम जल्द ही इस संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।" उन्होंने कहा कि उप्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना 50 से 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। शिवसेना नेता ने कहा, "हम पहले ही उत्तर प्रदेश में लगभग 20 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। हम किसी भी बड़ी पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं हैं, लेकिन कुछ छोटे समूहों के साथ साझेदारी की है।''
राउत ने यह भी दावा किया, ''हम 15 से 20 सीटों पर उप्र से लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगे।" पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक संजय ने अपने उम्मीदवारों का नामांकन रद्द करने के लिए भाजपा सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया, "भाजपा के इशारे पर उप्र में लगभग 15 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द कर दिए गए, क्योंकि पार्टी को हमारे उम्मीदवारों द्वारा उन सीटों पर हार का डर सता रहा है। हम अपने प्रयास जारी रखेंगे और चुनाव लड़ेंगे।"
शिवसेना सांसद ने एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी पर हालिया हमले की आलोचना करते हुए कहा, "उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था के लंबे दावे किए जाते हैं, कहा जाता है कि गैंगस्टरों का शासन समाप्त हो गया है, लेकिन जब राजनीतिक नेता उप्र आते हैं तो उन पर गोलियां बरसाई जाती हैं, इसका मतलब उप्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है।’’