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Hindi News लोकसभा चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज समाजवादी पार्टी पहले जैसी नहीं रही, अखिलेश यादव को दलितों की जरूरत नहीं: चंद्रशेखर आजाद

समाजवादी पार्टी पहले जैसी नहीं रही, अखिलेश यादव को दलितों की जरूरत नहीं: चंद्रशेखर आजाद

आजाद ने कहा, हमारा प्रयास रहा है कि यूपी में बीजेपी को रोका जाए, और इसके लिए पिछले 6 महीने से अखिलेश यादव से बात चल रही थी और सारी बातें सकारात्मक थीं।

Akhilesh Yadav Chandrashekhar Azad, Chandrashekhar Azad, Chandrashekhar Azad Rawan- India TV Hindi Image Source : PTI आजाद समाज पार्टी के सुप्रीमो चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया।

Highlights

  • भीम आर्मी सुप्रीमो चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया।
  • चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि अखिलेश को शायद लग रहा है कि दलितों के बगैर भी उनकी सरकार बन रही है।
  • आजाद ने कहा कि हमें जिस हिस्सेदारी की अपेक्षा थी, वह नहीं मिली इसलिए हमने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

लखनऊ: भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के सुप्रीमो चंद्रशेखर आजाद ने शनिवार को समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया। लखनऊ में आजाद ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव ने दलित समाज को अपमानित करने का काम किया है। आजाद ने कहा कि अखिलेश को दलितों के वोट चाहिए लेकिन उन्हें दलित लीडरशिप नहीं चाहिए। ऐसे में समाजवादी पार्टी और आजाद समाज पार्टी के बीच गठबंधन की उम्मीदें भी धराशायी हो गई हैं। चंद्रशेखर आजाद ने इंडिया टीवी से बातचीत में यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी अब पहले जैसी नहीं रह गई है।

‘पिछले 6 महीने से अखिलेश यादव से बात चल रही थी’
आजाद ने कहा, 'हमारा प्रयास रहा है कि यूपी में बीजेपी को रोका जाए, और इसके लिए पिछले 6 महीने से अखिलेश यादव से बात चल रही थी और सारी बातें सकारात्मक थीं। लेकिन मुझे लग रहा है कि पिछले कुछ दिनों से माहौल बदला है। अब मुझे नहीं लगता कि उनको दलितों की जरूरत है। उनको शायद लग रहा है कि दलितों के बगैर भी उनकी सरकार बन रही है। हमें जिस हिस्सेदारी की अपेक्षा थी, वह नहीं मिली इसलिए हमने प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। मेरे लिए विधायक या मंत्री बनना कोई मुद्दा नहीं है, और मैं आंदोलन के लिए हूं।'

‘मुझे लगता है कि समाजवादी पार्टी में परिवर्तन हो गया है’
आजाद ने कहा, ‘मुझे लगता है कि सपा में परिवर्तन हो गया है और वह पहले जैसी नहीं रही। मेरे ख्याल से बीजेपी से लोगों के टूटकर आने के बाद उन्हें लगा कि अब और ज्यादा लोगों की जरूरत नहीं है। इसके बाद उन्होंने न के बराबर प्रतिनिधित्व देने की बात कही, और उन्हें पता था कि मैं स्वाभिमानी व्यक्ति हूं और मना कर दूंगा और मैंने मना भी कर दिया। विधायक या एमपी बनना मेरा मकसद नहीं है।’