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Hindi News लोकसभा चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज 'यादव परिवार अच्छी तरह जानता है कि उनकी एकता कब तक चलेगी', यूपी के डिप्टी CM ने कसा तंज

'यादव परिवार अच्छी तरह जानता है कि उनकी एकता कब तक चलेगी', यूपी के डिप्टी CM ने कसा तंज

केशव प्रसाद मौर्य ने दावा किया कि अब जनता ने वंशवादी राजनीति को खत्म करने का मन बना लिया है। बीजेपी उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य के समर्थन में मौर्य ने कहा कि लोगों में मुलायम सिंह यादव के लिए सहानुभूति है, लेकिन वे उपचुनाव में सपा को वोट नहीं देंगे।

shivpal yadav akhilesh yadav dimple yadav- India TV Hindi Image Source : PTI शिवपाल यादव के साथ अखिलेश और डिंपल

मैनपुरी (उप्र): समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनके प्रतिनिधित्व वाली मैनपुरी संसदीय सीट पर हो रहे उपचुनाव से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के पुनर्मिलन को लेकर सपा पर निशाना साधते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यादव परिवार सबसे अच्छी तरह जानता है कि यह एकता कब तक चलेगी। मौर्य ने दावा किया कि अब जनता ने वंशवादी राजनीति को खत्म करने का मन बना लिया है। बीजेपी उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य के समर्थन में मौर्य ने कहा कि लोगों में मुलायम सिंह यादव के लिए सहानुभूति है, लेकिन वे उपचुनाव में सपा को वोट नहीं देंगे।

डिंपल यादव पर मौर्य ने कही यह बात
मुलायम सिंह के निधन के बाद 5 दिसंबर को होने वाले मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए सपा ने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को टिकट दिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसा लगता है कि चुनाव के बाद यादव परिवार एकजुट रहेगा, मौर्य ने कहा, ‘‘यह उनका मामला है।’’ चाचा-भतीजा (शिवपाल और अखिलेश) जिनके बीच 2016 में आपसी विवाद के बाद लंबे समय से अच्छे संबंध नहीं थे, एक बार फिर से एक साथ आए हैं और डिंपल की जीत को मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि बताते हुए सीट बरकरार रखने की कोशिश में लगे हैं।

Image Source : ptiशिवपाल के पैर छुए हुए अखिलेश

2016 में अखिलेश ने किया था शिवपाल को बर्खास्त
2016 में अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने उस समय राज्य सरकार के मंत्री शिवपाल सिंह यादव को बर्खास्त कर दिया था। तब चाचा और भतीजे के बीच रिश्ते खराब हो गए थे। 2017 में जब अखिलेश यादव सपा के अध्यक्ष बने, तब शिवपाल पार्टी से अलग हो गए। शिवपाल सिंह यादव ने 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया। हालांकि दोनों ने 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले हाथ मिलाया था, लेकिन उसके बाद उनके रिश्ते फिर से खराब हो गए।

शिवपाल यादव की सुरक्षा में हुई कटौती
जब से शिवपाल सिंह यादव ने सपा से नाता तोड़ा है, ऐसी अफवाहें थीं कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने हर बार इसका खंडन किया, लेकिन बीजेपी सरकार द्वारा उनकी पार्टी के लिए एक बंगले के आवंटन ने अटकलों को हवा दी थी। उसी दौरान राज्य सरकार ने 2018 में शिवपाल सिंह यादव को ‘जेड श्रेणी’ की सुरक्षा भी मुहैया कराई जिसे रविवार को घटाकर ‘वाई श्रेणी’ का करने का आदेश दे दिया गया। शिवपाल सिंह यादव खेमे की करीबी मानी जाने वाली मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव के बीजेपी में शामिल होने के बाद, सत्तारूढ़ दल से उनकी निकटता के कयास लगाए जाने लगे। मैनपुरी उपचुनाव घोषित होने के बाद यह संकेत मिला कि बीजेपी ने शिवपाल सिंह यादव के एक समय करीबी रघुराज सिंह शाक्य को इसलिए अपना उम्मीदवार बनाया है ताकि शिवपाल की ताकत का अनुकूल लाभ मिल सके।