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Hindi News लोकसभा चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज कर्नाटक विधानसभा चुनाव: लिंगायतों को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों में मची होड़, जानिए कितना अहम है इनका वोट

कर्नाटक विधानसभा चुनाव: लिंगायतों को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों में मची होड़, जानिए कितना अहम है इनका वोट

अलग राज्य के तौर पर कर्नाटक के अस्तित्व में आने के बाद से ही लिंगायत वोटरों का दबदबा रहा है। यही वजह है कि सभी सियासी पार्टियां इनका भरोसा हासिल करने की होड़ में जुट गई हैं।

लिंगायत समुदाय के नेता और पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार कांग्रेस में शामिल- India TV Hindi Image Source : पीटीआई लिंगायत समुदाय के नेता और पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार कांग्रेस में शामिल

Karnataka Assembly Elections: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब कुछ दिन ही बाकी रह गए हैं। इस बीच विभिन्न सियासी दलों द्वारा वोटरों का रुख अपनी ओर करने की पूरी कोशिश की जा रही है। इस राज्य में लिंगायत समुदाय के वोटों का दबदबा रहा है। लिंगायत समाज को सूबे की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। इसका इतिहास 12 वीं शताब्दी से शुरू होता है। 1956 में भाषा को आधार बनाकर राज्यों का पुनर्गठन हुआ जिसके बाद कर्नाटक अस्तित्व में आया। कर्नाटक राज्य गठन के बाद से ही यहां लिंगायतों का दबदबा रहा है। यही वजह है कि लिंगायतों का भरोसा हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस में सियासी होड़ मची हुई है।

राज्य की सौ से ज्यादा सीटों पर दबदबा

कर्नाटक में अब तक 23 मुख्यमंत्री हुए हैं जिनमें से 10 मुख्यमंत्री इसी समुदाय से रहे हैं। लिंगायत समुदाय का असर राज्य की सौ से ज्यादा सीटों पर है। पिछले विधानसभा चुनाव में लिंगायत समुदाय के 58 विधायक जीते थे जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में इस समुदाय के 52 विधायकों ने जीत हसिल की थी। लिंगायत समुदाय के बड़े नेताओं में बीएस येदियुरप्पा, बसवराज बोम्मई, जगदीश शेट्टार, एसडी थम्मैया और केएस किरण कुमार आदि के नाम प्रमुख हैं।

अलग धर्म की मांग कर रहे हैं लिंगायत

लिंगायत समुदाय के लोग अपने लिए अलग धर्म की मांग कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भी लिंगायत समुदाय की इस मांग को लेकर खूब चर्चा हो रही है। कर्नाटक में 500 से ज्यादा मठ हैं जिनमें से ज्यादातर मठ लिंगायत समुदाय के हैं। लिंगायत मठ बहुत शक्तिशाली है।

कित्तूर लिंगायतों का मजबूत गढ़

लिंगायत समुदाय का सबसे मजबूत गढ़ कित्तूर है। बेलागवी, धारवाड़, विजयपुरा, हावेरी, गडग, उत्तर कन्नड़ जैसे 7 जिलों को मिलाकर बने इस इलाके से 50 विधायक विधानसभा में पहुंचते हैं।  कित्तूर इलाके को कर्नाटक का मुंबई भी कहा जाता है। पिछले दो चुनावों में इन 50 सीटों ने सराकर बनने में अहम रोल निभाया था। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 30, कांग्रेस को 17 और जेडीएस को दो सीटें मली थी। इससे पहेल 2013 में जब लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखनेवाले येदियुरप्पा ने बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ा तो बीजेपी को केवल 16 सीटों मिली थीं। आपको बता दें कि  कर्नाटक की सभी 224 सीटों के लिए 10 मई को मतदान होना है और 13 मई को मतगणना होगी।