देहरादून/नई दिल्ली: उत्तराखंड विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी से निकाले गए पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया। बता दें कि हरक सिंह रावत के लिए कांग्रेस में वापसी आसान नहीं रही, और लंबे जद्दोजहद के बाद आखिरकार वह पार्टी में वापस आए। शुक्रवार को दिल्ली में हरक सिंह रावत को प्रदेश के प्रभारी देवेंद्र यादव, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई।
बहू अनुकृति भी कांग्रेस में हुईं शामिल
हरक सिंह के साथ उनकी बहू अनुकृति भी कांग्रेस में शामिल हुईं। बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले बीजेपी से निकाले गए हरक सिंह रावत का प्रदेश कांग्रेस में वापसी को लेकर काफी विरोध हो रहा था। सूत्रों ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस में अपने वापसी के खिलाफ बढ़ते विरोध के मद्देनजर हरक सिंह ने दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं से संपर्क कर अपना पक्ष रखा, जिसके बाद उनकी वापसी को हरी झंडी मिल गई। सूत्रों ने बताया कि हरक सिंह ने शीर्ष नेताओं से मुलाकात के दौरान अपने प्रभाव से पार्टी को 5 से 10 सीटें दिलवाने का भरोसा दिलाया है।
हरीश रावत ने किया था वापसी का विरोध
वहीं, हरीश रावत द्वारा हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी का विरोध किए जाने के बाद रावत के समर्थक कई नेता भी खुलकर विरोध में बोलने लगे थे। हरीश रावत ने कई बार संकेत दिए थे कि वह हरक सिंह की कांग्रेस में वापसी को लेकर सहज नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया था कि 2016 में उनकी सरकार के खिलाफ बगावत हरीश रावत के खिलाफ नहीं बल्कि लोकतंत्र और उत्तराखंड के खिलाफ थी, हालांकि शुक्रवार को हरक सिंह कांग्रेस में हरीश की मौजूदगी में ही शामिल हुए। गौरतलब है कि तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले 10 कांग्रेस विधायकों में हरक सिंह भी शामिल थे। बगावत के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया था।