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Hindi News लोकसभा चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज गुजरात विधानसभा चुनाव: सूबे का उत्तरी इलाका रहा है कांग्रेस का गढ़, बीजेपी ने काटे अधिकांश विधायकों के टिकट

गुजरात विधानसभा चुनाव: सूबे का उत्तरी इलाका रहा है कांग्रेस का गढ़, बीजेपी ने काटे अधिकांश विधायकों के टिकट

उत्तर गुजरात के 6 जिलों, जिनमें बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा, साबरकांठा, अरावली और गांधीनगर आते हैं, की 32 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 2012 और 2017 के चुनावों में 17 सीटें जीती थीं।

Gujarat Assembly Elections 2022, Gujarat Assembly Elections, Gujarat Assembly Elections News- India TV Hindi Image Source : PTI FILE उत्तर गुजरात में पिछले 2 चुनावों से कांग्रेस बीजेपी पर भारी पड़ रही है।

अहमदाबाद: कांग्रेस ने गुजरात में पिछले 2 विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य के उत्तरी क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी से बेहतर प्रदर्शन किया है। उत्तर गुजरात के इलाके से विधानसभा की कुल 32 सीटें आती हैं। विपक्षी दल इस इलाके में 2022 में भी अपनी बढ़त बनाये रखना चाहेगा और कुछ कारक इसके पक्ष में भी हैं। इस क्षेत्र में वोट 5 दिसंबर को दूसरे चरण में डाले जाएंगे जब 182 सदस्यीय विधानसभा की शेष 93 सीटों के लिए मतदान होगा।

2012 और 2017 में बीजेपी पर भारी पड़ी थी कांग्रेस
राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि डेयरी सहकारी नेता एवं पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी की गिरफ्तारी के कारण बीजेपी को कुछ क्षेत्रों में बगावत का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रमुख अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), चौधरी समुदाय के बीच नाराजगी का अंदेशा है। उन्होंने कहा कि साथ ही स्थानीय जाति समीकरण और उम्मीदवारों का चयन प्रक्रिया के अंतिम परिणाम में एक प्रमुख भूमिका निभाने की संभावना है। क्षेत्र के 6 जिलों, बनासकांठा, पाटन, मेहसाणा, साबरकांठा, अरावली और गांधीनगर में फैली 32 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 2012 और 2017 दोनों चुनावों में 17 सीटों पर जीत हासिल की थी।

बीजेपी ने 2012, 2017 में जीती थीं 15 और 14 सीटें
दूसरी ओर, बीजेपी क्रमशः 2012 और 2017 में 15 और 14 विधानसभा क्षेत्रों में विजयी हुई थी। पिछले चुनाव में, एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार जिग्नेश मेवाणी के खाते में गई थी, जिन्हें कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। यह सीट वडगाम की सुरक्षित सीट थी। विपक्षी दल ने इस क्षेत्र में अपने अधिकांश मौजूदा विधायकों पर भरोसा जताया है और उनमें से 11 को फिर से टिकट दिया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने 14 मौजूदा विधायकों में से केवल 6 को टिकट दिया है और बाकी विधानसभा क्षेत्रों में नए उम्मीदवारों को मौका दिया है।

Image Source : PTI Fileबीजेपी ने इस बार उत्तर गुजरात के अपने अधिकांश विधायकों के टिकट काट दिए हैं।

उत्तर गुजरात में AAP का कुछ ज्यादा असर नहीं
दोनों पार्टियों ने स्थानीय जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए पाटीदार और कोली समुदायों के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आम आदमी पार्टी के उत्तर गुजरात में बहुत अधिक प्रभाव डालने की संभावना नहीं है। उनका मानना है कि इस क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है। उनका मानना है कि दक्षिण गुजरात के सूरत और सौराष्ट्र क्षेत्र में कुछ सीटों के चुनाव परिणाम में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप संभावित रूप से प्रभाव डाल सकती है।

विपुल चौधरी की गिरफ्तारी बीजेपी को पड़ेगी भारी
राजनीतिक विश्लेषक दिलीप गोहिल ने कहा, ‘बीजेपी ने 2002 के चुनावों में मध्य और उत्तर गुजरात क्षेत्रों में चुनावी बढ़त हासिल की। हालांकि, 2012 तक, कांग्रेस उत्तर गुजरात में अपनी खोई जमीन में से काफी कुछ वापस हासिल करने और 5 साल बाद इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखने में कामयाब रही।’ विश्लेषकों और सामाजिक समूह के सदस्यों के मुताबिक, 800 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में सहकारी नेता विपुल चौधरी की गिरफ्तारी ने उनके समुदाय के लोगों को नाराज कर दिया है।

‘अरबुदा सेना के लोग अपनी पसंद से वोट डालेंगे’
बनासकांठा जिले और मेहसाणा के कुछ हिस्सों में मतदाताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस समुदाय से है। दूधसागर डेयरी के पूर्व अध्यक्ष चौधरी पर सहकारी संस्था का अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप हैं। पूर्व मंत्री के चुनाव से पहले AAP में शामिल होने की अटकलें थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दूधसागर डेयरी के पूर्व उपाध्यक्ष एवं अरबुदा सेना से जुड़े मोगाजी चौधरी ने कहा कि सामाजिक समूह के सदस्य अपनी पसंद के अनुसार अपना वोट डालेंगे और उन्हें कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है।

‘अर्बुदा सेना ने गैर-राजनीतिक रहने का फैसला किया’
मोगाजी चौधरी ने कहा, ‘वे मतदान के दौरान उम्मीदवारों और स्थानीय मुद्दों जैसे कारकों पर विचार करेंगे। विपुल चौधरी के साथ जो हुआ, उसे लेकर समुदाय के लोगों में गुस्सा है, लेकिन अर्बुदा सेना ने गैर-राजनीतिक रहने का फैसला किया है।’ बनासकांठा की दीसा जैसी कुछ विधानसभा सीटों पर भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ रहा है। (PTI)