Goa Election 2022: गोवा में दिवंगत मनोहर पर्रिकर के बेटे, भाजपा, कांग्रेस और आप उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर
गोवा में सोमवार यानी 14 फरवरी को मतदान में इन नेताओं की चुनावी किस्मत का फैसला होगा। भाजपा ने विधायक मोनसेराटे को चुनाव मैदान में उतारा है। मोनसेराटे इससे पहले कांग्रेस में थे और उन्होंने 2019में भाजपा के प्रत्याशी को पराजित किया था।
Highlights
- गोवा में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार खत्म
- गोवा में विधानसभा की 40 सीटों के लिए कुल 301 उम्मीदवार मैदान में
- कांग्रेस ने 37 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं
पणजी: गोवा विधानसभा चुनाव में पणजी सीट पर भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे, भाजपा के स्थानीय कद्दावर नेता अतानासियो मोनसेराटे, पूर्व में आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रह चुके और अब कांग्रेस के टिकट से चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी तथा आप उम्मीदवार के बीच कांटे की टक्कर है।
गोवा में सोमवार यानी 14 फरवरी को मतदान में इन नेताओं की चुनावी किस्मत का फैसला होगा। भाजपा ने विधायक मोनसेराटे को चुनाव मैदान में उतारा है। मोनसेराटे इससे पहले कांग्रेस में थे और उन्होंने 2019में भाजपा के प्रत्याशी को पराजित किया था। वह 2020 में भाजपा में शामिल हो गए थे। मोनसेराटे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं दिवंगत मुख्यमंत्री पर्रिकर के बेटे उत्पल पर्रिकर। भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने से नाराज उत्पल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।
इस सप्ताह की शुरुआत में एक साक्षात्कार में उत्पल पर्रिकर ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों का जिक्र किया था और कहा था कि वह चाहते थे कि पार्टी (भाजपा) किसी बेदाग छवि वाले उम्मीदवार को टिकट दे। कांग्रेस ने चुनाव में एल्विस गोम्स को टिकट दिया है। पूर्व नौकरशाह 2017 में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे,लेकिन बाद में पार्टी छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं दूसरी ओर आप ने तीसरी बार वाल्मीकि नाइक को चुनाव मैदान में उतरा है।
इससे पहले नाइक को 2017, और 2019 उपचुनाव में खड़ा किया गया था। नाइक ने कहा कि निर्वाचित होने पर वह पणजी निर्वाचन क्षेत्र में रोजगार पर ध्यान केंद्रित करेंगे और वार्ड सभाओं का आयोजन करेंगे जिसमें नागरिक विधायक और अधिकारियों की उपस्थिति में अपने मुद्दों को हल करा सकते हैं। इन उम्मीदवारों के अलावा रिवोल्यूशनरी गोवा पार्टी (आरजीपी) से राजेश रेडकर (50) भी चुनाव मैदान में हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, पणजी में 22,408 पंजीकृत मतदाता हैं जिनमें 10,531 पुरुष और 11,877 महिलाएं हैं।
प्रदेश में विधानसभा की 40 सीटों के लिए कुल 301 उम्मीदवार मैदान में हैं
गोवा में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिये प्रचार अभियान शनिवार शाम को समाप्त हो गया। प्रदेश में विधानसभा की 40 सीटों के लिए कुल 301 उम्मीदवार मैदान में हैं। प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी), तृणमूल कांग्रेस पार्टी, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी), राकांपा, शिवसेना, रिवोल्यूशनरी गोवा, गोएंचो स्वाभिमान पार्टी, जय महाभारत पार्टी और संभाजी ब्रिगेड के उम्मीदवारों के अलावा, 68 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों में प्रमुख राजनीतिक दलों के बागी भी शामिल हैं । प्रदेश में मतों की गिनती दस मार्च को होगी । इस तटीय राज्य में भाजपा सत्ता में बने रहने के लिये जी तोड़ कोशिश कर रही है । पार्टी चुनाव मैदान में अकेले उतरी है और किसी भी अन्य दल के साथ उसका गठबंधन नही है।
जानिए गोवा में पार्टियों का क्या है गणित?
गोवा में कांग्रेस ने 37 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि सहयोगी जीएफपी के खाते में तीन सीटें गयी है। पिछले पांच वर्षों में, कांग्रेस के कई विधायकों ने पार्टी छोड़ दी, जिससे विधानसभा में उसकी संख्या दो पर सिमट गयी। आम आदमी पार्टी प्रदेश में 39 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। प्रचार अभियान के दौरान, पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गोवा में ‘दिल्ली मॉडल’ को दोहराने और ‘भ्रष्टाचार मुक्त सरकार’ देने का वादा किया। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी गोवा की चुनावी राजनीति में पहली बार उतरी है । टीएमसी राज्य के सबसे पुराने राजनीतिक दल एमजीपी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है। टीएमसी जहां 26 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं एमजीपी 13 पर चुनाव लड़ रही है। विधानसभा चुनाव में राकांपा और शिवसेना गठबंधन भी मैदान में है । शिवसेना जहां 11 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं राकांपा 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। गोवा में 2017 के चुनावों में कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन सरकार नहीं बना सकी क्योंकि भाजपा ने तेजी के साथ गठबंधन कर सरकार गठन करने का दावा पेश किया था।