Goa Vidhan Sabha Chunav 2022: इस बार का गोवा विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत ही मुश्किल भरा साबित हो रहा है। जहां एक तरफ उन्हें बीजेपी से टक्कर लेनी पड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ एंटी बीजेपी वोटों का बंटवारा रोकने की चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है। तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के परंपरागत वोट में सेंध लगा सकते हैं। इसी सेंधमारी को रोकने की पुरजोर कोशिश कांग्रेस कर रही है। लेकिन इन सबके बीच एक और समस्या है, जिससे कांग्रेस को रूबरू होना पड़ रहा है। ये समस्या है कि आखिर गोवा के नागरिकों को यह भरोसा कैसे दिलाया जाए कि जीत कर आने के बाद उनके उम्मीदवार पार्टी छोड़कर नहीं जाएंगे। इसी कोशिश के तहत हफ्ते भर बाद ही सभी कांग्रेस के उम्मीदवारों को दूसरी बार शपथ दिलाई गई कि वह पार्टी से निष्ठा बनाकर रखेंगे, चाहे जो हो जाए लेकिन पार्टी नहीं छोड़ेंगे और जीतकर आने के बाद 5 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी से और गोवा के लोगों से वफादार रहेंगे।
राहूल गांधी के सामने उम्मीदवारों ने ली शपथ
राहुल गांधी की मौजूदगी में गोवा कांग्रेस के सभी 37 उम्मीदवारों को शपथ दिलाई गई। इस बार शपथ संविधान पर हाथ रखकर दिलाई गई। कांग्रेस की तरफ से गोवा के डोना पॉला इलाके में बाकायदा 'वफादारी की प्रतिज्ञा' नाम के कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कांग्रेस के सभी 37 उम्मीदवार और गोवा फॉरवर्ड के 3 उम्मीदवार शामिल हुए। सभी उम्मीदवारों ने एक-एक कर शपथ ली। अपने शपथ के दौरान इन उम्मीदवारों ने कहा कि, वो संविधान की शपथ लेते हैं कि कांग्रेस पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे। जीतकर आने के बाद कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ेंगे, अन्य दल में शामिल नहीं होंगे, जनता के लिए पांच वर्षों तक काम करेंगे। अब उम्मीदवारों के इस प्रतिज्ञा पत्र को राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को देंगे।
इस शपथ के पीछे क्या है मजबूरी?
लगातार दूसरी बार उम्मीदवारों को इस तरह शपथ दिलाने के पीछे कांग्रेस की एक बड़ी मजबूरी है। दरअसल, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी लगातार यह प्रचार कर रहें है कि कांग्रेस के उम्मीदवार भरोसेमंद नहीं है। अगर जनता ने कांग्रेस को वोट दिया तो वो वोट प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से बीजेपी को ही जाएगा क्योंकि जीत कर आने के बाद कांग्रेस के उम्मीदवार पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। आप और टीएमसी आक्रामक प्रचार के जरिए ये कोशिश कर रहे हैं कि कांग्रेस के उम्मीदवारों की छवि एक लालची और अविश्वासी नेता के तौर पर बन जाए। कहा जा रहा है कि इस लड़ाई में इन दोनों ही दलों को कुछ हद तक कामयाबी भी मिली है।
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद क्या हुआ था?
बता दें कि, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 17 विधायक चुनकर आए थे लेकिन इन 17 में से 15 विधायकों ने पाला बदल लिया। तभी से कांग्रेस इस समस्या से जूझ रही है कि आखिर जनता को कैसे ये भरोसा दिलाए कि इस बार उनके उम्मीदवार न तो पार्टी छोड़ेंगे और ना ही बीजेपी में शामिल होंगे। इसीलिए कुछ दिन पहले कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों को गोवा के महालक्ष्मी मंदिर, फिर होली क्रॉस और दरगाह में शपथ दिलाई गई कि वह कांग्रेस पार्टी और गोवा के लोगों के साथ वफादार रहेंगे।
वहीं इससे एक दिन पहले ही आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों ने शपथपत्र पर दस्तखत कर कहा कि वह भी ईमानदार रहेंगे और जीत कर आने के बाद किसी अन्य दल में शामिल नहीं होंगे। गोवा के मौजूदा सियासी घटनाक्रमों से एक बात तो साफ है कि यहां अविश्वास की डोर ज्यादा मजबूत है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि जनता जिसे वोट दे रही है वह उम्मीदवार जीतकर आने के बाद अपने दल के साथ ईमानदार रहेगा या फिर नहीं।