पणजी:गोवा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद आज विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में विधायक दल के नेता का चुनाव होगा। जानकारी के मुताबिक आज केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य दिल्ली से गोवा आएंगे और पार्टी के सभी 20 निर्वाचित विधायकों के साथ मीटिंग करेंगे और सर्वसम्मत्ति से विधायक दल के नेता का चुनाव होगा। गोवा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब बिना गठबंधन के अकेले बीजेपी के 20 विधायकों ने जीत दर्ज की है। इसके पहले 2012 में मनोहर पर्रिकर ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन किया था। इस गठबंधन ने कुल 24 सीट जीती थी जिसमें एमजीपी की 3 और बीजेपी की 21 सीटें थी।
2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता प्रमोद सावंत ने बगैर गठबंधन अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया और उनका यह फैसला सही साबित हुआ। बीजेपी ने अपने बल पर 20 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की। आज विधायक दल की बैठक में केंद्रीय संसदीय बोर्ड की तरफ से नितिन गडकरी या पीयूष गोयल के आने की चर्चा है। हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।
कैबिनेट में कुल 11 मंत्री शामिल हो सकते हैं इसके अलावा विधानसभा स्पीकर,डेप्युटी स्पीकर के पद पर भी बीजेपी अपने वरिष्ठ विधायकों को तरजीह देगी। इस हिसाब से बीजेपी के 20 में से 13 विधायक इन पदों पर एडजस्ट किये जायेंगे। मंत्रिपद के दावेदारों में जो नाम चल रहे है उसमें प्रमोद सावंत के साथ माविन गुदीन्हों, विश्वजीत राणे, नीलेश क़ाबराल, गोविंद गावड़े, बाबुश मोंसेरेट, रोहन खवांटे, रवि नाईक, सुभाष शिरोडकर, सुभाष फलदेसाई, नीलकंठ हलरनकर, अलेक्स रेजीनॉल्ड सहित कुल 17 नाम शामिल हैं।
इसके अलावा महाराष्ट्र वादी गोमांतक पार्टी याने एमजीपी के 2 विधायको को भी पार्टी को एडजस्ट करना है जिसमें एमजीपी के सीनियर मोस्ट नेता और 1994 से बीजेपी का साथ दे रहे रामकृष्ण सुदिन धवलीकर को भी मंत्री बनाना जरूरी होगा। हालांकि सुदिन धवलीकर का विरोध बीजेपी के अंदर शुरू हो गया है। इसका कारण है कि सुदिन धवलीकर और उनकी पार्टी एमजीपी ने इस बार टीएमसी के साथ हाथ मिला लिया था जो बीजेपी की विपरीत विचारधारा वाली पार्टी है। हालांकि इस पर प्रमोद सावंत ने इंडिया टीवी से कहा कि एमजीपी पर आखिरी फैसला भी केंद्रीय संसदीय बोर्ड ही लेगा।