Delhi MCD Result: दिल्ली एमसीडी में बीजेपी का 15 साल पुराना किला आम आदमी पार्टी ने ध्वस्त कर दिया है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी को इस एमसीडी चुनाव में सबसे ज्यादा 134 सीटों पर जीत मिली है। जबकि, बीजेपी 104 सीटों पर सिमट गई। वहीं 250 सीटों में देश की सबसे पुरानी पार्टी को सिर्फ 9 सीटें ही मिलीं। अब इस चुनाव के बाद जो सबसे बड़ा सवाल है वो यह है कि आखिर जिस बीजेपी को एमसीडी से कांग्रेस नहीं उखाड़ पाई थी, उसे 15 सालों बाद आम आदमी पार्टी ने कैसे धूल चटा दिया। आज हम बीजेपी की हार के पीछे की कुछ बड़ी वजहों को आपके सामने लेकर आए हैं।
आरोप प्रत्यारोप की राजनीति
बीजेपी के नेता लगातार आम आदमी पार्टी पर हमलावर थे। उसके नेताओं पर लगातार छापे पड़ रहे थे और उन्हें जेल भेजा जा रहा था। हालांकि, इधर जमीन पर कूड़े के ढेर, गंदगी और गली मोहल्लों में अव्यवस्था पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा था। बीजेपी के नेताओं को लगा कि वह केजरीवाल विरोधी हवा बना कर एमसीडी चुनाव जीत जाएंगे, लेकिन शायद दिल्ली की जनता ने जमीन पर दिख रहे मुद्दों पर वोट किया और केजरीवाल इसमें बाजी मार गए।
एंटी इनकंबेंसी रही बड़ी वजह
बीजेपी दिल्ली एमसीडी में 15 सालों से काबिज थी। इसके बावजूद दिल्ली में कई जगह कूड़े के पहाड़ खड़े हैं। आम आदमी पार्टी ने इसे अच्छी तरह से भुनाया और 'एमसीडी में 15 साल कुशासन' के नारे के साथ बीजेपी पर लगातार हमलावर रही। दिल्ली की जनता से मुख्यमंत्री केजरीवाल चुनाव प्रचार में बार बार कहते नजर आ रहे थे कि आपने 15 साल से बीजेपी का शासन देख लिया है, अब एक बार 'आप' को भी मौका देकर देखिए। लगता है केजरीवाल की ये बात दिल्ली वालों ने मान ली और उन्हें दिल्ली एमसीडी के लिए मौका दे दिया।
केजरीवाल के वादों का तोड़ नहीं मिला
बीजेपी के हार की एक और सबसे मुख्य वजह यह भी है कि उसके पास एमसीडी चुनाव में अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए वादों का कोई तोड़ नहीं था। चाहे दिल्ली से कूड़े के ढेर साफ करना हो या फिर RWAs के दफ्तरों को चलाने के लिए फंड देने की बात करना हो। बीजेपी के पास इनका कोई तोड़ नहीं था। यही वजह रही कि बीजेपी इन मुद्दों पर जनता के सामने कोई काट नहीं पेश कर पाई और केजरीवाल के सामने घुटने टेक दिए।