गुजरात और हिमाचल में बीजेपी को पूर्ण बहुमत, इंडिया टीवी-मैटराइज ओपिनियन पोल का अनुमान
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों में बीजेपी पूर्व बहुमत के साथ सरकार बना सकती है। इंडिया टीवी-मैटराइज ओपिनियन पोल के मुताबिक इन दोनों राज्यों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिल सकता है।
नई दिल्ली : इंडिया टीवी-मैटराइज ओपिनियन पोल के मुताबिक गुजरात और हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत हासिल कर सकती है जबकि दोनों राज्यों में कांग्रेस के दूसरे स्थान पर रहने का अनुमान है। इस ओपिनियन पोल का प्रसारण आज शाम इंडिया टीवी न्यूज चैनल पर किया गया। ओपिनियन पोल के मुताबिक गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से 119 सीटें जीतकर बीजेपी भारी बहुमत हासिल कर सकती है जबकि कांग्रेस 59 सीटें जीत सकती हैं और आम आदमी पार्टी (आप) के खाते में केवल 3 सीटें जा सकती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजपी ने 99 सीटें जीती थी, कांग्रेस ने 81 और 'अन्य' ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी।
बीजेपी को 51.3 प्रतिशत वोट
मतदान प्रतिशत की बात करें तो ओपिनियन पोल के मुताबिक बीजेपी को 51.3 प्रतिशत, कांग्रेस को 37.2 प्रतिशत और आप को केवल 7.2 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 48.8 प्रतिशत, कांग्रेस को 42.3 प्रतिशत और 'अन्य' को 8.9 प्रतिशत वोट मिले थे।
मध्य गुजरात में बीजेपी को 43 सीटें
क्षेत्रवार बात करें तो मध्य गुजरात में कुल 61 सीटें हैं जिनमें बीजेपी को 43 और कांग्रेस को 17 सीटें मिल सकती हैं। अनुमानों के मुताबिक मध्य गुजरात में आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुलेगा। सौराष्ट्र-कच्छ की बात करें तो यहां कुल 54 सीटें हैं जिनमें से बीजेपी 32 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है, कांग्रेस को 20 और आप को 2 सीटें मिल सकती हैं। दक्षिण गुजरात में कुल 35 सीटें हैं जिनमें बीजेपी 27 सीटों पर जीत हासिल कर सकती है, कांग्रेस को 7 और आप को सिर्फ एक सीट मिल सकती है। वहीं उत्तरी गुजरात में 32 सीटें हैं जिनमें से 17 सीटें बीजेपी के खाते में जा सकती हैं, कांग्रेस को 15 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं उत्तरी गुजरात में भी आप को निराश होना पड़ सकता है। अनुमानों के मुताबिक यहां आप का खाता भी नहीं खुलेगा।
91 हजार लोगों के सैंपल लिए गए
इंडिया टीवी-मैटराइज ओपिनियन पोल के लिए गुजरात के 182 विधानसभा क्षेत्रों में फैले 91 हजार लोगों (उत्तरदाताओं) के सैंपल लिए गए जिनमें 54,600 पुरुष और 36,400 महिलाएं थीं। 15 अक्टूबर से 2 नवंबर तक रैंडम सैम्पलिंग क्वांटिटेटिव डेटा कलेक्शन किया गया था, जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से कम से कम 500 सैंपल लिए गए थे। मार्जिन एरर प्लस/माइनस 5 प्रतिशत तक हो सकता है।
बीजेपी को अनुसूचित जाति का 48 फीसदी वोट
इस ओपिनियन पोल से पता चलता है कि बीजेपी को 48 फीसदी अनुसूचित जाति वोट, 49 फीसदी अनुसूचित जनजाति वोट, 58 फीसदी कडवा पटेल वोट, 53 फीसदी लेउवा पटेल वोट, 52 फीसदी ओबीसी वोट, 48 फीसदी हिंदू वोट और 14 फीसदी मुस्लिम वोट मिल सकते हैं। कांग्रेस को 41 फीसदी एससी वोट, 42 फीसदी एसटी वोट, 34 फीसदी कडवा पटेल वोट, 37 फीसदी लेउवा पटेल वोट, 39 फीसदी ओबीसी वोट, 41 फीसदी सवर्ण हिंदू वोट और 62 फीसदी मुस्लिम वोट मिल सकते हैं।
भूपेंद्र पटेल के काम को 31 प्रतिशत लोगों ने 'बहुत अच्छा' बताया
बतौर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के काम को 31 प्रतिशत लोगों ने 'बहुत अच्छा', 38 प्रतिशत लोगों ने 'औसत' और 29 प्रतिशत लोगों ने 'बहुत खराब' बताया। यह पूछे जाने पर कि क्या वे बदलाव चाहते हैं, 32 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नाखुश हैं और बदलाव चाहते हैं, 44 प्रतिशत ने कहा कि नाखुश तो हैं लेकिन कोई बदलाव नहीं चाहते हैं, जबकि 22 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे खुश हैं बदलाव नहीं चाहते हैं।
महंगाई मतदाताओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा
महंगाई का मुद्दा मतदाताओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा रहा। 28 प्रतिशत लोगों ने इसे सबसे बड़ा मुद्दा बताया। दूसरे नंबर पर बेरोजगारी का मुद्दा रहा। 22 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बताया वहीं बुनियादी सुविधाओं का मुद्दा तीसरे स्थान पर रहा। 16 फीसदी लोगों ने बुनियादी सुविधाओं को बड़ा मुद्दा बताया जबकि चौथे नंबर पर भ्रष्टाचार का मुद्दा रहा। 9 प्रतिशत लोगों ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बताया।
यह पूछे जाने पर कि क्या नरेंद्र मोदी चुनाव में गेम चेंजर बनेंगे, 42 प्रतिशत लोगों ने कहा-'हां', 33 प्रतिशत लोगों ने कहा, 'कुछ हद तक', जबकि 21 प्रतिशत लोगों ने कहा, 'इससे कोई असर नहीं पड़ेगा।' यह पूछे जाने पर कि सरकार कौन बनाएगा, 66 प्रतिशत ने कहा-'बीजेपी', 28 प्रतिशत ने कहा-'कांग्रेस', और केवल दो प्रतिशत लोगों ने 'आप' का नाम लिया। यह पूछे जाने पर कि किसके चुनाव प्रचार का सबसे ज्यादा असर होगा, 64 प्रतिशत लोगों ने नरेंद्र मोदी, 22 प्रतिशत ने राहुल गांधी और केवल आठ प्रतिशत लोगों ने अरविंद केजरीवाल का नाम लिया।
वो कौन सी चीज है जो बीजेपी को सत्ता विरोधी लहर से क्या बचा लेगी? इस सवाल पर 46 प्रतिशत ने नरेंद्र मोदी, 21 प्रतिशत ने काम नहीं करनेवाले विधायकों को बदलने, 12 प्रतिशत ने बेहतर चुनाव प्रबंधन, 7 प्रतिशत ने मजबूत उम्मीदवार और 6 प्रतिशत ने 'चुनावी वादे' कहा।
हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी बीजेपी अपनी सत्ता बरकरार रख सकती है। 68 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी को 41 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि कांग्रेस 25 सीटें जीत सकती है और 'अन्य' को दो सीटों पर सफलता मिल सकती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 44 सीटें जीती थीं। वोट प्रतिशत की बात करें तो बीजेपी को 46.2 प्रतिशत, कांग्रेस को 42.3 प्रतिशत, आप को 2.3 प्रतिशत और अन्य को 9.2 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। इंडिया टीवी-मैटराइज रैंडम सैंपलिंग सर्वे हिमाचल प्रदेश में 15 अक्टूबर से 2 नवंबर तक 68 विधानसभा क्षेत्रों में 13,600 लोगों (उत्तरदाताओं) (8160 पुरुष, 5440 महिलाएं) के बीच किया गया था। मार्जिन एरर प्लस / माइनस 5 प्रतिशत है।
जयराम ठाकुर 29 प्रतिशत लोगों की पसंद
बतौर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के काम को 29 प्रतिशत लोगों ने 'बहुत अच्छा' बताया। 37 प्रतिशत ने कहा 'औसत' बताया जबकि 31 प्रतिशत ने उनके प्रदर्शन को 'बहुत खराब' बताया। 43 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इस बार सरकार बदलेगी, 48 प्रतिशत ने कहा कि वर्तमान सरकार रहेगी, जबकि नौ प्रतिशत ने अपनी कोई राय नहीं दी।
मतदाताओं के सामने सबसे अहम मुद्दे: बेरोजगारी (26 फीसदी), महंगाई (14 फीसदी), भ्रष्टाचार (11 फीसदी), विधायकों से नाराजगी (9 फीसदी) और पुरानी पेंशन योजना (6 फीसदी)। गुटबाजी से सबसे ज्यादा नुकसान किस पार्टी को होगा? इस सवाल पर 38 फीसदी ने 'बीजेपी', 27 फीसदी ने 'कांग्रेस' और 33 फीसदी ने कहा-'दोनों पार्टियां।'
मुख्यमंत्री पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार के तौर पर जयराम ठाकुर 26 प्रतिशत लोगों की पसंद के साथ शीर्ष पर हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विधवा और कांग्रेस नेता प्रतिभा सिंह को 17 प्रतिशत ने सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार बताया। वहीं विपक्ष के नेता (कांग्रेस) मुकेश अग्निहोत्री को नौ प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार बताया।
यह पूछे जाने पर कि क्या नरेंद्र मोदी चुनाव में गेम चेंजर बनेंगे, 32 प्रतिशत लोगों ने कहा 'काफी हद तक', 43 प्रतिशत ने कहा 'कुछ हद तक', और 23 प्रतिशत ने कहा कि 'कोई असर नहीं होगा'।