पूर्वांचल के किसानों की किस्मत बदलेगी बनास डेयरी? आंकड़े बता रहे हैं तरक्की की कहानी
पहले 35 सालों में बनास डेयरी की प्रति माह आय 22.88 करोड़ थी लेकिन नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए 12 वर्षों में प्रति माह आय बढ़ कर 288 करोड़ हुई।
Highlights
- पहले 35 सालों में बनास डेयरी की प्रति माह आय 22.88 करोड़ थी।
- नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए 12 वर्षों में प्रति माह आय बढ़ कर 288 करोड़ हुई।
- नरेंन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 7 वर्षों में प्रति माह आय 911 करोड़ तक पहुंच गयी है।
अहमदाबाद: बनास-काशी संकुल के निर्माण की शुरुआत एक ऐतिहासिक घटना है। यह सिर्फ बनारस के लोगों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए एक अद्भुत भेंट है क्योंकि जब किसी इलाके में एक सहकारी डेयरी आकार लेती है तो उसका सकारात्मक असर पूरे इलाके की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था पर पड़ता है। इससे समय के साथ वहां के लोगों की सोच में भी परिवर्तन आता है। भूमिपूजन स्थल पर निर्मित हो रही बनास डेयरी की प्रगति की यात्रा से सम्बंधित ये आंकड़े गवाह हैं कि राज्य में और देश में एक मजबूत और निर्णायक नेतृत्व और पशुपालकों का संगठन मिलकर विकास की नयी कहानी लिख सकते हैं।
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तेजी से बढ़ी है बनास डेयरी की आय
पहले 35 सालों में बनास डेयरी की प्रति माह आय 22.88 करोड़ थी लेकिन नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते हुए 12 वर्षों में प्रति माह आय बढ़ कर 288 करोड़ हुई। नरेंन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 7 वर्षों में प्रति माह आय 911 करोड़ तक पहुंच गयी है। ये आंकड़े विकास की मैक्रो-लेवल पर तस्वीर तो प्रस्तुत करते हैं लेकिन यदि माइक्रो-लेवल पर देखें तो पता चलेगा कि सिर्फ एक डेयरी कैसे एक वीरान और लगातार प्राकृतिक आपदाओं को झेलने वाले इलाके की तस्वीर बदल सकती है बस इसके लिए चाहिए सही दिशा दिखाने वाला सबल नेतृत्व जो कोऑपरेटिव मूवमेंट को एक क्रांति में बदल दे।
बनासकांठा में उगाए जा रहे हैं ड्रैगन फ्रूट
उदाहरण के तौर पर 2005 में कृषि और पशुपालन के क्षेत्र मे उन्नति के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने कृषि महोत्सव की शुरुवात की और राज्य में ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई करने की पद्धति को बढ़ावा दिया। उसका सबसे ज्यादा फायदा बनासकांठा जिले के किसानो ने उठाया और आज पूरे देश ड्रिप इरिगेशन पद्धति से सबसे ज्यादा खेती बनासकांठा में होती है जिसकी वजह से इस सूखा प्रभावित क्षेत्र में अनार और ड्रैगन फ्रूट जैसे फल भी उगाये जा रहे हैं। इसका श्रेय जाता है बनास डेयरी को क्योकि जिले के तमाम किसान डेयरी के सभासद हैं जिन्हें डेयरी के माध्य्म ड्रिप इरिगेशन के फायदे समझाना बहुत ही आसान हो गया।
पशुओं के वैक्सीनेशन से हआ बड़ा अंतर
इसी तरह नरेंद्र मोदी ने कृषि महोत्सवों के दौरान पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्हें स्वस्थ रखने पर बहुत जोर दिया, पशुओं के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू किये गए। जिस तरह आज कोविड-19 के खिलाफ की शुरुआत में वैक्सीनेशन का विरोध ग्रामीण इलाकों में देखा गया था उसी तरह उस समय शुरुआत में लोग अपने पशुओं को टीका लगवाने को तैयार नहीं थे। तब गुजरात में कोऑपरेटिव डेरियों का संगठन विभिन्न प्रकार की भ्रांतियों को दूर करने में काम आया और पशुओं को नियमित वैक्सीन लगने लगी जिससे गुजरात में दूध का उत्पादन कई गुना बढ़ गया। बनास डेयरी में आज हर रोज औसतन 85 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
पूरे देश में फैल चुका है ‘मिशन हनी’
2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से गांव के डिजिटलाइजेशन के लिए कदम उठाये, e-dairy के कॉन्सेप्ट को लांच किया, खेती और पशुपालन के क्षेत्र में मॉर्डन टेक्निक को इम्प्लीमेंट करने और डाइवर्सिफिकेशन के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया, उसका फायदा भी सबसे बड़ी संगठित डेयरी के रूप में बनास डेयरी के सभासदों ने उठाया। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक आह्वान पर देश में ‘वाइट रिवोल्यूशन’ के बाद ‘स्वीट रिलोल्यूशन’ शुरुआत भी गुजरात से ही हुई। स्वीट रिवोल्यूशन का काफी बड़ा श्रेय बनास डेयरी को भी जाता है जो सबसे पहले खादी और ग्राम उद्योग आयोग (KVIC) की पार्टनर बनी और आज मिशन हनी पूरे देश में फैल चुका है।
आपदा से लड़ने में आगे रही है बनास डेयरी
बनासकांठा में डेयरी के साथ जुड़े कई किसान मधुमक्खी पालन से सालाना लाखों रुपये कमा रहे हैं। बनास डेयरी के सभासदों द्वारा पालनपुर में 100 करोड़ के खर्च से मल्टी-स्पेशलिटी हॉस्पिटल और 200 सीट का मेडिकल कॉलेज बनाया गया है। इस के निर्माण के लिए बनास डेयरी के सभासदों ने कई सालों तक रोजाना अपने दूध की इनकम में से प्रति लीटर 2 पैसे का दान दिया। इतना ही नहीं, कोविड की सेकेंड वेव में इन सभासदों ने महज 4 दिनों में ऑक्सीजन प्लांट खड़ा कर दिया (ये अपने आप में एक मिसाल है)। कोविड की पहली वेव के दौरान यहां की महिला सभासदों ने महज 3 दिन के भीतर 7 करोड़ रुपये इकट्ठे करके PM CARE फंड में जमा करवाए। विपत्ति कैसी भी डेयरी का अपना नेटवर्क हमेशा बनासकांठा के किसानो के काम आता है।
1152 करोड़ रुपये को प्रॉफिट बोनस के रूप में बांटा
बनास डेयरी और उसके सभासद एक साथ विकास कर रहे हैं। कैसे? एक तरफ जहां आज बनास डेयरी खुद को विस्तारित करते हुए काशी पहुंच रही है, बनासकांठा जिले के सनोदरा गांव में 50 लाख लीटर की कैपेसिटी वाला देश का सबसे बड़ा ग्रीन फिल्ड मिल्क प्लांट लगाने जा रही है, वहीं इसने पिछले साल अपने 3 लाख से ज्यादा सभासदों में 1152 करोड़ रुपये को प्रॉफिट बोनस के रूप में बांटा है। डेयरी के साथ जुडी कई महिला सभासद साल भर 1 करोड़ से भी ज्यादा रुपये के दूध का उत्पादन करती हैं (इसकी चर्चा आज पूरे विश्व में हो रही है)।
वाराणसी की भी तस्वीर बदल सकती है बनास डेयरी
कल्पना कीजिये कि अब उसी बनास डेयरी का काशी में आगमन न सिर्फ इलाके के विकास ने मददगार होगा बल्कि सहकारी क्षेत्र को भी मजबूती प्रदान करेगा। इसीलिए कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी के पास ये प्रपोजल आया तो वाराणसी के सांसद के तौर पर अपने कार्यालय का उत्तर प्रदेश प्रशासन से समन्वय करवाकर डेयरी के लिए तमाम क्लीयरेंसेस करवाए और देखते ही देखते अब प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू हो गया। UP में चुनाव हैं तो इसके भूमि पूजन के समय को लेकर राजनीति भी जरूर होगी लेकिन हर निर्णय को राजनीतिक चश्मे से देखने वाले अक्सर ऐसे लोकोपयोगी अभिगमों के दूरगामी परिणामो को नजरअंदाज कर जाते हैं।