A
Hindi News लोकसभा चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज त्रिपुरा: खुशखबरी के बीच BJP में आई एक निराश करने वाली खबर, इसकी उम्मीद नहीं थी

त्रिपुरा: खुशखबरी के बीच BJP में आई एक निराश करने वाली खबर, इसकी उम्मीद नहीं थी

त्रिपुरा विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की गिनती अभी जारी है। बीजेपी साल 2018 के 36 सीटों के अपने आंकड़े को इस बार बेहतर करने के लिए उम्मीद जता रही है, लेकिन इस बीच बीजेपी के लिए एक निराशाजनक खबर आई है।

bjp supporter- India TV Hindi Image Source : PTI बीजेपी समर्थक

अगरतला: नॉर्थ ईस्ट के तीन राज्यों त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के नतीजों में कमल खिल गया है। देश की सियासत में नरेंद्र मोदी का दबदबा बरकरार है। त्रिपुरा में पिछली बार से भले ही सीटें कम आई हों लेकिन बहुमत स्पष्ट  है। इस बीच बीजेपी के लिए एक निराशाजनक खबर आई है। त्रिपुरा में बनमालीपुर सीट से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव भट्टाचार्य चुनाव हार गए हैं। इस सीट पर कांग्रेस के गोपाल चंद्र रॉय 1369 वोटों से जीते हैं। बीजेपी की तरफ से री काउंटिंग की अपील की गई है।

दिलचस्प बात यह है कि बनमालीपुर वहीं सीट है जहां से बिप्लब कुमार देव चुनाव जीते थे और मुख्यमंत्री बने थे। राजीव भट्टाचार्य को उनके सांगठनिक कौशल के लिए जाना जाता है। वह प्रदेश इकाई में कोषाध्यक्ष और महासचिव के पद पर भी रह चुके हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देव का करीबी माना जाता है।

प्रद्योत देब बर्मा ने 'खट्टा' किया बीजेपी का स्वाद
वहीं, आपको बता दें कि त्रिपुरा विधानसभा चुनावों के लिए वोटों की गिनती अभी जारी है। बीजेपी साल 2018 के 36 सीटों के अपने आंकड़े को इस बार बेहतर करने के लिए उम्मीद जता रही है, लेकिन टिपरा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (TIPRA) बीजेपी की रणनीति में एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है। तत्कालीन त्रिपुरा शाही परिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा के नेतृत्व में, टिपरा मोथा पार्टी (TMP) के प्रमुख ने इस विधानसभा चुनावों के लिए एक आक्रामक अभियान चलाया।

प्रद्योत देब बर्मा ने स्थानीय आदिवासियों, जो त्रिपुरा की आबादी का 32 प्रतिशत हिस्सा हैं, से जुड़ने के अभियान के दौरान "चिनी हा, चिनी शासन (हमारी जमीन, हमारा शासन)" का नारा दिया था। इतना ही नहीं  अगर उनकी पार्टी या गठबंधन को सीटों की निर्णायक संख्या हासिल होती है तो बर्मा ने एक अलग राज्य - तिप्रालैंड - बनाने के लिए काम करने का भी वादा किया।

यह भी पढ़ें-

'शाही' ही नहीं राजनीतिक भी है इतिहास
'शाही' शासनकाल के अलावा, प्रद्योत देब बर्मा के परिवार का राजनीतिक इतिहास भी रहा है। उनके पिता किरीट बिक्रम कांग्रेस नेता और तीन बार सांसद रहे। उनकी पत्नी यानी प्रद्योत माणिक्य की मां विभु कुमारी देवी भी दो बार कांग्रेस विधायक और त्रिपुरा सरकार में मंत्री रहीं।