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Hindi News लोकसभा चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज डीएमके तमिलनाडु में सत्ता में आयी तो राज्य में सीएए लागू नहीं करने देंगे: स्टालिन

डीएमके तमिलनाडु में सत्ता में आयी तो राज्य में सीएए लागू नहीं करने देंगे: स्टालिन

डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने सोमवार को वादा किया कि तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के बाद उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य में संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) लागू नहीं करने दिया जाएगा।

No to CAA if DMK voted to power, says Stalin- India TV Hindi Image Source : PTI स्टालिन ने वादा किया कि तमिलनाडु में उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य में सीएए लागू नहीं करने दिया जाएगा। 

जोलारपेट: डीएमके अध्यक्ष एम. के. स्टालिन ने सोमवार को वादा किया कि तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के बाद उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य में संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) लागू नहीं करने दिया जाएगा। स्टालिन ने सीएए के मुद्दे पर संसद में बीजेपी का 'समर्थन' करने को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यदि अन्नाद्रमुक और राज्य सभा में पीएमके के एकमात्र सदस्य ने संबद्ध विधेयक के खिलाफ मतदान किया होता, तो सीएए अस्तित्व में नहीं आया होता। 

स्टालिन ने कहा कि पूरे देश में अल्पसंख्यकों की 'दुर्दशा' के लिए दोनों दलों (बीजेपी और अन्नाद्रमुक) को दोषी ठहराया जाना चाहिए। दिल्ली के शाहीन बाग़ सहित देश के विभिन्न हिस्सों में इस अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे। स्टालिन ने यहां एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक पर चुनाव से पहले इस मुद्दे पर नाटक करने का आरोप लगाया और याद दिलाया कि उनकी पार्टी ने पहले सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था और इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था। 

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वासन देता हूं। हम सत्ता में आने वाले हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसलिए सत्ता में आने के बाद हम तमिलनाडु में इस सीएए (लागू होने) नहीं देंगे। यह स्टालिन द्वारा दिया गया आश्वासन है।’’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने संसद में विधेयक का विरोध किया था।

स्टालिन ने कहा कि अन्नाद्रमुक ने जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाने और तीन तलाक को खत्म करने जैसे मुद्दों पर भाजपा का समर्थन किया था, लेकिन अब वह अल्पसंख्यकों की रक्षक होने का नाटक कर रही है। उन्होंने केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित नहीं करने को लेकर भी मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी की आलोचना की।